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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैंने गुजरात में १ हजार करघे चालू करवा दिये हैं और गुजरातके प्रमुख व्यक्ति जैसे श्रीमती बैंकर, श्रीमती पेटिट,[१] श्रीमती अनसूयावेनने[२] उत्साहके साथ सूत कातना प्रारम्भ कर दिया है। चरखेके कल-पुर्जे बिलकुल सीधे-सादे होते हैं और सूत कताईसे सम्बन्धित पूरा सरंजाम ३|| या ४ रुपये में मिल जाता है। कताई बहुत कम समय में सीखी जा सकती है उदाहरणार्थ साथवाले कमरेमें श्रीमती टी० ए० चेट्टियार बैठी सूत कातना सिख रही हैं। उन्होंने कल ही प्रारम्भ किया है। चन्द घंटोंके अभ्याससे वे अच्छी तरह सूत कातने लगेंगी और में उम्मीद करता हूँ कि उनमें दूसरोंको सिखानेकी भी योग्यता आ जायेगी।[३]

[अंग्रेजीसे]

हिन्दू, ९-८-१९१९

४. पत्र : जी० एस० अरुंडेलको[४]

लैबर्नम रोड

बम्बई

अगस्त ४, १९१९

प्रिय श्री अरुंडेल[५],

आपका कृपापत्र मैंने बार-बार पढ़ा। पत्रके लिए धन्यवाद। अपने इस उत्तरके साथ आपके पत्रको 'यंग इंडिया'[६] में छपवा रहा हूँ।

मैं आपकी सलाहके अनुसार कार्य करना तो चाहता हूँ, परन्तु मेरा खयाल है कि अपने पत्र में आपने जो कार्य बताया है, वह मेरे बूतेके बाहर है। मुझे अपनी मर्यादाओंका अच्छी तरह पता है। मेरे मनका झुकाव राजनीतिकी ओर नहीं धर्मकी ओर है। राजनीति में मैं भाग लेता हूँ, क्योंकि मेरे खयालसे जीवनका एक भी अंग ऐसा नहीं, जिसे धर्मसे अलग किया जा सके। दूसरा कारण यह है कि आज राजनीति हर जगह

  1. बम्बई के प्रसिद्ध पारसी दानवीर, गांधीजीके मित्र और मेजबान श्री जे० बी० पेटिटकी पत्नी।
  2. अनसूया साराभाई, अहमदाबादके प्रमुख मिल-मालिक अम्बालाल साराभाईकी बहन; देखिए खण्ड १४।
  3. इसी समय पं० मदनमोहन मालवीय गांधीजीसे मिलने आये। इस विवरणका उत्तरांश मालवीयजीके साथ हुए वार्तालापसे सम्बन्धित था।
  4. यह उनके २६ जुलाईके उस पत्रके उत्तर में लिखा गया था, जिसमें उन्होंने गांधीजीसे अपील की थी कि सविनय अवज्ञा आन्दोलन स्थगित हो जानेके बाद अब उनको मॉण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड संवैधानिक सुधारोंको कार्यरूपमें परिणत करनेमें हाथ बँटाना चाहिये।
  5. थियोसोफिस्ट, न्यू इंडिया के सम्पादक।
  6. देखिए परिशिष्ट १।