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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

गुणोंको जिनका आप बखान करते हैं, यदि वे गुण आपमें नहीं हैं तो उन्हें अपने जीवनमें उतारें और इस तरह अपने भाईको अपने में सदा जीवित रखें। लेकिन मैं आपको क्या सीख दूँ? अब क्या करनेका विचार है? अहमदाबादमें ही रहेंगे अथवा आजीविकाके अन्य साधनकी तलाश करेंगे? आप यदि बच्चोंमें से किसीको राष्ट्रीय शाला में भेजना चाहते हों तो भेज सकते हैं।

मोहनदासके वन्देमातरम्

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ३१६५) की फोटो-नकल से।

 

२१४. पंजाबकी चिट्ठी—५

[दिसम्बर १, १९१९ के लगभग][१]

खिलाफतकी सभा

गुजरांवालासे हम सीधे दिल्ली गये। २३ नवम्बरको दिल्लीमें केवल मुसलमानोंकी और २४ तारीखको एक सार्वजनिक सभा हुई थी जिसमें हिन्दू और मुसलमान दोनों उपस्थित थे। २३ तारीखकी सभा खानगी थी और उसमें मुसलमानोंके अलावा दूसरे लोग थोड़े ही थे। मुझे विशेष रूपसे आमन्त्रित किया गया था, इस कारण मैं उसमें उपस्थित था। माननीय मौलवी फजलुल हक इस सभाके अध्यक्ष थे। इस बातकी जानकारी सब लोगोंको होगी कि ये महोदय पंजाबके कार्यके लिए भी आयुक्त नियुक्त किये गये हैं। सभा में बहुतसे प्रस्ताव पास किये जानेवाले थे। इन प्रस्तावोंको निश्चित करनेके लिए विषय [निर्धारिणी] समिति बनाई गई। इस समितिको बैठक ४ बजेसे रातके साढ़े नौ बजे तक हुई। इसमें खूब बहस होती रही। प्रस्तावोंमें से एकमें हिन्दुओंके प्रति आभार प्रकट किया गया था; यह सर्वसम्मतिसे पास कर दिया गया। दूसरा प्रस्ताव सुलहके उपलक्षमें मनाये जानेवाले उत्सवोंमें भाग न लेनेके सम्बन्धमें था, वह भी स्वीकार कर लिया गया। तीसरा महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव बहिष्कार करनेके बारेमें था। इसपर खूब बहस हुई अनेक व्यक्तियोंने तीखे भाषण दिये और बहिष्कारके सम्बन्धमें इस आशयका प्रस्ताव पेश किये जानेपर यह चर्चा भी हुई कि यूरोपके अन्य देशोंका माल भी न लिया जाये—लेकिन यह बात तो किसीने भी स्वीकार नहीं की। इस विषय में मेरी राय पूछी गई। मैंने जो कुछ कहा उसे सब लोगोंने बहुत ध्यानपूर्वक और नम्रताके साथ सुना और अनेक सदस्योंने अपनी स्वीकृति दी। मैंने बताया कि बहिष्कार विष है और वैरका भाव है। उससे काम बननेके बजाय बिगड़ेगा; यह प्रस्ताव बहुमतसे स्वीकार कर लिया गया।

  1. गांधीजीने पत्रमें उल्लिखित कसूर आदि स्थानोंकी २६ नवम्बर, १९१९ को यात्रा की थी। सम्भवतः पद पत्र उन्होंने आनेवाले सप्ताहके सोमवारको जो इस तारीखको पढ़ा था लिखा था।