उन्हें सान्त्वना देना कठिन है। उनको झूठी आशा दिलाना पाप होगा। उन्हें यह समझानेसे उनको सान्त्वना नहीं मिलती कि जो होना था सो हो गया, अब जिसका प्रतिकार नहीं हो सकता उसे धैर्यपूर्वक सहन करना चाहिए। इसलिए में एक दुःसाध्य कार्य करनेकी चेष्टा कर रहा हूँ। मैं उनसे अपने अन्दर इस हदतक सत्याग्रहियोंकी भावना पैदा करनेके लिए कह रहा हूँ जिससे वे यह महसूस करने लगें कि अपने प्रियजनोंके जेल जानेपर क्रोधित, उत्तेजित और चिन्तित होकर तो हम ऐसी राजनीतिक सजाओंको और अधिक स्थायित्व प्रदान करनेके अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं कर रहे हैं। यह खुलासा करनेकी आवश्यकता तो नहीं ही है कि मैं यहाँ वास्तविक उपद्रवों या हत्याओंके लिए दी जानेवाली सजाओंकी बात नहीं कर रहा हूँ।
- [अंग्रेजीसे]
- यंग इंडिया, ३-१२-१९१९
२१६. पत्र : एस्थर फैरिंगको
लाहौर
दिसम्बर ४, १९१९
तुम बीमार क्योंकर हो गईं? तुम्हें अपने जिम्मे ऐसे काम नहीं लेने चाहिए थे जो तुम्हारे बसके बाहर हैं। तुम तीसरे दर्जेमें बम्बई जानेके योग्य नहीं हो। वास्तवमें तुम्हें बम्बई जाने की जरूरत ही नहीं थी। खैर, जिस प्रकारकी सुविधाकी जरूरत हो वह माँग लो और जल्दीसे अच्छी हो जाओ। तुम्हें हुआ क्या था? श्री महादेवने तुम्हारी बीमारी के बारेमें कुछ तो मुझे बताया है। मुझे कृपया इसके बारेमें पूरी बात लिखो।
- प्रेम और मंगलकामनाओं सहित,
तुम्हारा,
बापू
- [अंग्रेजीसे]
- माई डियर चाइल्ड