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सुधार

नाते मुझे उसकी परम्परासे अवगत होना चाहिए। किन्तु जो कुछ हुआ उसकी रोशनी में जब मैं अपने कार्यको देखता हूँ तो मैं यह नहीं कह सकता कि फिर वैसी ही परिस्थितिमें मेरा आचरण उससे भिन्न होगा जो तब था जब मैंने श्री कैनेडीका पत्र प्रकाशित करने और उसपर टिप्पणी करनेका फैसला किया था। इसलिए मुख्य न्यायाधीश महोदयके सुझावपर अमल करनेकी तीव्र इच्छा होते हुए भी मैं सोचता हूँ कि मैं सच्चे दिलसे अपने कार्यके लिए क्षमा-याचना नहीं कर सकता। यदि मुख्य न्यायाधीश महोदयको मेरा यह जवाब नाकाफी लगे तो मैं नम्रतापूर्वक वह दण्ड स्वीकार करूँगा जो मुख्य न्यायाधीश महोदय मुझे देना चाहेंगे।

आपके पत्रका उत्तर देने में मुझसे जो विलम्ब हुआ उसके लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ। मैं पंजाब में लगातार दौरेपर हूँ और अगले मासके प्रारम्भसे पहले मुझे फुरसत नहीं मिल सकेगी।[१]

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे लॉ रिपोर्टर, खण्ड २२
 

२२४. सुधार

इस लेख के प्रकाशित होनेतक नये सुधारोंके सम्बन्धमें कानून[२] बन चुका होगा अथवा बननेकी स्थिति में होगा। इन सुधारोंका हम क्या करें? इस प्रश्नका उत्तर इस बातपर निर्भर करता है कि ये सुधार कैसे हैं।

यदि कांग्रेस-लीग योजनाकी दृष्टिसे इन सुधारोंको कसौटीपर कसें तो हमें उनको छोड़ देना चाहिए। यदि हम कांग्रेसके पिछले अधिवेशन में पास किये गये प्रस्तावोंकी दृष्टिसे देखें तो हमें कांग्रेसके प्रस्तावों और सुधारोंके बीच काफी अन्तर दिखाई देगा

त्याग कर देनेका क्या अर्थ है? अर्थात् हम इन सुधारोंका उपयोग न करें; वोट न दें, वोटर न बनें और किसीको सदस्य भी न बनने दें। इतना त्याग करनेके लिए कोई तैयार नहीं है। हमने ऐसी तैयारी भी नहीं की है। जो शिष्टमंडल[३] विलायत गये थे उन्होंने भी इस ओर कोई संकेत नहीं किया।

  1. पंजीयकने पत्र पानेके पहले उसी दिन अदालतमें अर्जी पेश कर दी थी कि "श्री गांधी और महादेव देसाईके खिलाफ प्रारम्भिक आदेश जारी कर उनसे यह जवाब तलब किया जाए कि उक्त पत्रको प्रकाशित करनेके कारण उनके खिलाफ अदालतकी मानहानिका मुकदमा क्यों न चलाया जाये।"
  2. भारत सरकार अधिनियम, १९१९ जिसमें संवैधानिक सुधारके लिए मॉण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड प्रस्ताव सन्निहित थे।
  3. कॉमन्स सभामें जुलाई १९१९ में भारत विधेयक पेश किया गया था। इस विधेयकको लेकर भारत में विभिन्न राजनीतिक दलोंमें जो प्रतिक्रिया हुई थी उसे व्यक्त करनेके लिए कुछ शिष्टमण्डल ब्रिटेन गये थे। यह संकेत सम्भवतः उसी ओर है। ये शिष्टमण्डल थे नरमदलीय शिष्टमण्डल, अखिल भारतीय होमरूल लोगके विभिन्न विचारोंको व्यक्त करनेके लिए दो होमरूल शिष्टमण्डल और कांग्रेस शिष्टमण्डल। कांग्रेस शिष्टमण्डलके सदस्य थे : विट्ठलभाई पटेल, लोकमान्य तिलक, बी॰ सी॰ पाल और वी॰ पी॰ माधवराव।