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पत्र : एस्थर फैरिंगको

इन दोनों बातोंके सम्बन्धमें न्याय प्राप्त करने के लिए नई विधान परिषदोंका सहारा लेना चाहिए। रौलट विधेयक रद होना ही चाहिए और उसके लिए विधान परिषद् आन्दोलन किया जा सकता है। और यदि वह रद न हो तो हमारा हथियार तैयार ही है। पंजाब के सम्बन्धमें भी यही बात है। पंजाबको न्याय मिलना चाहिए, उस न्याय के लिए भी विधान परिषद् [उपयुक्त] स्थान है। इन दोनों चीजोंमें नये प्रतिनिधियों और नये सुधारोंकी कसौटी हो जायेगी।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १४-१२-१९१९
 

२२५. पत्र : एस्थर फैरिंगको

लाहौर
रविवार [दिसम्बर १४,] १९१९

रानी बिटिया,

तुम्हारा पत्र मिला और बनियान भी। क्या इसके लिए मैं तुम्हें धन्यवाद दे सकता हूँ? मैं उसे धुलवा रहा हूँ।

क्या तुमने कातना शुरू कर दिया है? मैं चाहूँगा कि 'यंग इंडिया' में स्वदेशीपर लिखा मेरा लेख[१] तुम पढ़ो। मेरा अनुरोध है कि कातना सीखो और प्रतिदिन धार्मिक भावनासे इस काम में घंटा भर लगाओ। तुम्हारे और हमारे पूर्वज केवल हाथका कता-बुना कपड़ा ही पहनते थे। इस कथनकी पुष्टिमें (स्पिनिंगसे बना) 'स्पिन्स्टर' शब्द तथा (वीविंगसे बना) 'वाइफ' शब्द काफी महत्त्वपूर्ण हैं। मैं चाहूँगा कि आश्रमकी महिलाओंके सामने तुम नियमित रूपसे कताई करनेका उदाहरण प्रस्तुत करो। क्या फातिमा अब कुछ कताई करती है? यदि नहीं, तो कृपया उससे तथा अमीनासे कहना कि इसकी उपेक्षा न करें। उन्हें प्रतिदिन एक नियत समयतक कताई करनी थी और वास्तवमें ऐसा ही सभी महिलाओंको करना था।

मुझे खुशी है कि उन सबने बीमारीमें तुम्हारी सेवा सुश्रूषा की। पारस्परिक मदद और सेवा, वास्तव में पवित्र जीवनका प्रथम सोपान है।

सस्नेह,

तुम्हारा,
बापू

[अंग्रेजीसे]
माई डियर चाइल्ड
  1. देखिए "स्वदेशीमें स्वराज्य", १०-१२-१९१९।
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