५. पत्र : छगनलाल गांधीको
बम्बई
सोमवार [ अगस्त ४, १९१९][१]
तुम्हारा पत्र मिला।
भाई हनुमन्तराव भारत सेवक समाज ( सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी) में थे। उनकी देखभाल करना। बा के पास रहनेका इन्तजाम कर देना। उन्हें मैंने लिखा है कि वे जबतक रहना चाहें तबतक रहें।
६०० रुपयेके बैंक नोटकी रकमको अकाल खातेमें जमा करवाना है। और यह भी लिख देना कि यह रकम इंग्लैंडसे प्राप्त हुई है।
सुन्दरम् [ घर] पहुँच गया है। लगता है, बरसात इस बार कुछ ज्यादा हुई है।
बापूके आशीर्वाद
गांधीजी के स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (एस० एन० ६७८५) की फोटो - नकल से।
६. पत्र : मनुभाई नन्दशंकर मेहताको
लैबर्नम रोड
गामदेवी,बम्बई
[ अगस्त ४, १९१९][२]
मैं गत बृहस्पतिवारको बीजापुर में था। वहाँ जाते हुए रास्ते में हजारों स्त्री-पुरुषोंसे मिला। मैं स्वदेशी आन्दोलनके सिलसिलेमें ही वहाँ गया था।
भड़ौचकी की एक प्रख्यात विधवा बहन बीजापुरमें रहती हैं। उन्हींकी मार्फत वहाँ कातनेका, और अब बुननेका भी काम चलता है। उनका नाम गंगाबेन है। इस कार्यका उद्देश्य यह है कि देशमें अधिक कपड़ा तैयार किया जाये। जिन भी बहनों तथा भाइयोंके पास अवकाश हो, उन्हें उसमें सूत कातना चाहिए और अगर बन सके तो बुनना चाहिए। ऐसा करके अन्तमें हम किसानोंको उनका पुराना सहायक धंधा सौंप देना चाहते हैं। इस कार्यक्रमके अन्तर्गत बीजापुरमें इस समय सवा सौ स्त्रियाँ सूत