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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


इस उत्तरसे वे लोग तो क्या सन्तुष्ट होंगे जिनके पास दो जून रोटीके लिए भी पैसे नहीं है। मैंने बाबुओंसे धैर्य रखने को कहा है। किन्तु मुझे आशा है कि आप इस प्रश्नको तात्कालिक समझकर कोई दिलासा देनेवाली घोषणा करेंगे।

हृदयसे आपका,

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें पेंसिलसे लिखी मूल अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७०८२) से।
 

२३१. टिप्पणीका अंश[१]

[दिसम्बर १९, १९१९ के बाद][२]

किन्तु देशके लिए श्री शास्त्रीके कामका मुख्य भाग प्रत्यक्ष दिखाई नहीं पड़ रहा हैं। लेकिन जब इन सुधारोंका इतिहास लिखा जायेगा तब देश देखेगा कि जो हम सबको प्रिय है उस उद्देश्यकी सिद्धिमें श्री शास्त्रीकी भूमिका कितनी महत्त्वपूर्ण थी। अभी बहुत कुछ. . .

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७०८२) की फोटो-नकलसे।
 

२३२. पंजाबकी चिट्ठी—८

लाहौर
रविवार [दिसम्बर २१, १९१९][३]

जलियाँवाला बाग

माननीय पंडित मदनमोहन मालवीयजी तथा श्री नेविलके साथ मैं अमृतसर, जलियाँवाला बाग और वे गलियाँ जहाँ लोगोंको पेटके बल रेंगकर चलाया गया था देखने गया था। हम मोटरमें गये थे, रास्तेमें खालसा कॉलेज आता है, इसलिए उसे देखने के लिए उतरे। कॉलेज एक विशाल मैदानमें है। इसमें मुख्तया सिख विद्यार्थी ही पढ़ते हैं। कॉलेजका एक छात्रालय भी है। इस कॉलेजकी भूमि एक सौ एकड़ है। कॉलेजके भवनका अभी पूरी तरहसे निर्माण नहीं हो पाया है। इसके प्रिंसिपल श्री वायन हैं। यहाँ विद्यार्थियोंको खेती-बाड़ीकी शिक्षा भी दी जाती है। उन्हें खेतीकी जो शिक्षा दी जाती है वह व्यावहारिक शिक्षा है। इस बारेमें में किसी दूसरे अवसरपर अधिक जानकारी देनेका विचार रखता हूँ।

  1. यह स्पष्ट नहीं है कि ये पंक्तियाँ किसी लेखका अंश हैं या किसी पत्रका। यह पिछले शीर्षक "पत्र : सर जॉर्ज बार्द्धको", के पिछले हिस्सेपर लिखी हुई थीं।
  2. वी॰ एस॰ श्रीनिवास शास्त्री।
  3. यह पत्र स्पष्टतः कांग्रेस अधिवेशन से पूर्व रविवारको लिखा गया था।