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भाषण : अमृतसर कांग्रेस में


बताना चाहता है कि भारतीयोंसे सम्बन्धित प्रार्थना-पत्रपर और साथ-साथ इस देशके मूल निवासियोंसे सम्बन्ध रखनेवाले अन्य प्रार्थना-पत्रोंपर विचार-विमर्शके समय उसे चार धर्म प्रचारकोंकी सहायता उपलब्ध थी, जिनमें एक रोमन कैथोलिक था और तीन उस धर्म प्रचारक परिषद् के सदस्य थे, जो इस सम्मेलनके समय नैरोबीमें चल रही थी।
घोषणा में आगे कहा गया है : "चूँकि ज्ञान-विज्ञान और प्रगतिके हमारे राष्ट्रीय आदर्श हमारी ईसाई और पश्चिमी सभ्यतामें मूर्त हुए हैं और हमारा कर्त्तव्य है कि हम यह ध्यान रखें कि इसमें जो कुछ उत्तम है वह आफ्रिकाकी जाग रही जनताको, उसकी आवश्यकताओं की पूतिके लिए, आसानी से मिलता रहे, और चूँकि इस देशका अस्तित्व केवल गोरोंके चरित्र बल और प्रतिष्ठापर आधारित है, और चूँकि कुछ भारतीय यहाँ व्यापारियों, बाबुओं और सहायकोंके रूपमें घुस आये हैं और चूँकि ये लोग सब तरहसे एक ऐसी सभ्यताका अनुगमन करते हैं जो पूर्वी है और कई प्रकारसे हमारी सभ्यताके प्रतिकूल है आदि।" तो यह है उनका मुख्य आरोप जो यहाँ कुछ अशिष्ट भाषामें रखा गया है। अन्तमें यह अधिक स्पष्ट कर दिया गया है। घोषणामें आगे कहा गया है : इस भू-भागको जर्मनीको वापिस दे दिये जानेके अतिरिक्त हम किसी कार्यको इतना अनैतिक और खुद अपने ही सिरपर टूट पड़नेवाला नहीं मानते जितना कि आफ्रिकी जनताके एकभागको—जिनका भाग्य हमारे हाथोंमें है और जो इस समय स्वयं अपनी रक्षा नहीं कर सकते—धोखा देकर एशियाइयोंके सुपुर्व कर देना। हमारा निवेदन है कि भारतीय या दूसरे किसी आन्दोलनके लिए आफ्रिकी जनताके हितोंको दाँवपर लगाना न तो बुद्धिमानी है और न सम्मानजनक"
दूसरा दस्तावेज इससे भी अधिक व्यावहारिक महत्त्वका है। इसको हर प्रकारसे एक सरकारी दस्तावेज माना जा सकता है। यह दस्तावेज उस आर्थिक आयोगकी रिपोर्टका एक अंग है जिसके अध्यक्ष एक प्रमुख सरकारी अधिकारी थे। आयोगके निर्णय सर्वसम्मत थे। मैं उसमें से निम्नलिखित अंश उद्धत कर रहा हूँ :
दुर्भाग्य की बात है (मैं फिर घोषणासे उद्धरण दे रहा हूँ) कि भारतीयोंको यहाँ अथवा अफ्रिकाके किसी भी अन्य भागमें न आने देनेके इससे भी सबल कारण हैं। किसी भारतीयका सम्पर्क हितकर नहीं है क्योंकि सफाई और शारीरिक स्वच्छताके नियमोंसे वह बिदकता है। भारतीयोंकी चरित्रहीनता आफ्रिकियोंके लिए और भी अधिक हानिकारक है, जो कमसे कम अपनी स्वाभाविक अवस्थामें पूर्वकी सबसे कुत्सित बुराइयोंसे अपरिचित हैं। भारतीय जुर्म और हिंसाको बढ़ावा देता है।[१] हमारा दृढ़ विश्वास है कि इस देशपर आधिपत्य जमानेका जो
  1. समाचारपत्रोंके विवरण में यह वाक्य नहीं है।
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