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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


सबसे बड़ा औचित्य हमारे सामने है वह यह कि हम यहाँके निवासियों को अपनी सभ्यताके अनुरूप बदल सकते हैं। यह आफ्रिकियोंके प्रति विश्वासघात होगा यदि हम उन्हें यूरोपीय जीवनदर्शन से भिन्न एशियाई जीवनदर्शन के प्रतिकूल प्रभावमें आने दें तो इस कामको और उलझा देंगे।"
भारतीय प्रश्नपर अल्पमतकी एकमात्र रिपोर्ट (श्री एन्ड्रयूज लिखते हैं) श्री कबकी अतिरिक्त टिप्पणी थी। वे कहते हैं कि भारतीयोंके बारेमें जो उद्धरण उन्होंने दिया है वह आयोगके सभी सदस्योंने मिलकर तैयार किया था किन्तु अन्तिम बैठक में उसको छोड़ दिया गया। किन्तु श्री कॉबको इससे सन्तोष नहीं हुआ और उन्होंने अपने हस्ताक्षरके साथ उसको रिपोर्टमें शामिल कर लिया। श्री कॉबकी टिप्पणी बहुत मानों में 'कन्वेंशन ऑफ एसोसिएशन्ज' की घोषणा से मिलती-जुलती है और सिद्ध करती है कि भारतीय प्रश्नपर सरकारी और गैर-सरकारी यूरोपीय लोगोंमें कोई भेद नहीं है। श्री कॉबका उद्धरण आप देख ही लें। वह इस प्रकार है :
आयुक्तगण (रिपोर्टके) अध्याय ७ में बता चुके हैं कि हमारी रायमें आफ्रिकियोंके—जिनके भाग्यका उत्तरदायित्व हमपर है, किसी भी भागको धोखसे एशियाइयोंके सुपुर्द न करनेके कौन-कौनसे मूल कारण हैं—भू-भागको जर्मनीको वापस कर देनेके अतिरिक्त (यह श्री कॉबका सुझाव है) यदि भारतको फैलाव के लिए स्थानकी आवश्यकता है तो एशियामें विशाल, रीते भू-भाग हैं जो विकासकी प्रतीक्षामें हैं और जिनपर अपनी शक्ति केन्द्रित करना भारतके लिए अधिक उपयोगी होगा।
कांग्रेसके महानुभावो, (श्री एन्ड्रयूज अपनी बात समाप्त करते हुए कहते हैं) यदि भारतीयोंके चरित्रपर इस हमलेके लिए कोई आधार होता तो में तथ्यों को प्रकाशमें लानेसे कभी न हिचकता। उससे पहले एक बार फीजीमें मुझे यही करना पड़ा था। वहाँ भारतीय लोग गिरमिटिया प्रथाके अन्तर्गत काम कर रहे थे। जैसा आप सब जानते हैं, मैंने उस समय साफ और सच्ची बात कह देने में आनाकानी नहीं की थी। किन्तु पूरी स्थितिका मौकेपर निरी- क्षण कर चुकने के बाद में इस निष्कर्षपर पहुँचा हूँ कि यहाँके भारतीयोंपर लगाया गया आरोप मूलतः निराधार है। मैंने युवा गुजरातियोंको—जो कि पूर्वी आफ्रिका आनेवाले भारतीयोंका मुख्य भाग हैं—ऐसा गृहस्थ और सामाजिक जीवन बिताते पाया है जिससे भारतका मान बढ़ता है। में इस पत्रमें इससे अधिक कुछ नहीं कह सकता कि जिस निष्कर्षपर में पहुँचा हूँ उसे जोरदार शब्दोंमें व्यक्त कर दूँ। यदि सम्भव होता तो में स्वयं वापस आकर स्थितिको आपके सामने रखता। किन्तु मुझे तुरन्त दक्षिण आफ्रिका जाना है। सज्जनो, मुझे विश्वास है कि आप स्वयं यह चुनौती स्वीकार करेंगे और भारतकी