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शाही घोषणा
सन्तानके चारित्रिक मानकी रक्षा करेंगे। मेरा यह भी विश्वास है कि भारतीयोंपर चरित्र भ्रष्टताका आरोप लगाकर उन्हें पूरे आफ्रिकासे निष्कासित करनेके जो प्रयत्न हो रहे हैं उनके प्रति आप स्वयं कांग्रेसके समक्ष और मुस्लिम लीगके समक्ष तथा भारतके कोने-कोनेमें विरोध प्रकट करेंगे।

मैं दोनों प्रस्तावोंको कांग्रेसके सामने रखता हूँ और आशा करता हूँ—मुझे इसमें रत्ती भर भी शंका नहीं है—कि आप इस चुनौतीको स्वीकार करेंगे और पूर्वी अफ्रिकाके गोरोंको समुचित उत्तर देंगे।[१]

[अंग्रेजीसे]

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ३१ दिसम्बर, १९१९को अमृतसरमें हुए चौंतीसवें अधिवेशनकी रिपोर्ट।

 

२३५. शाही घोषणा

दिसम्बर २४को सम्राट्ने जो घोषणा-पत्र जारी किया है अंग्रेजोंको उसपर गर्व होना पूर्णतया उचित है और प्रत्येक भारतीयको उससे सन्तोष होना चाहिये। लॉर्ड इंटरकी समिति के सामने जो गवाहियाँ दी गई हैं और उनसे जो बातें प्रकट हुई हैं उनके बाद ऐसे घोषणा-पत्र से अंग्रेजोंके वास्तविक चरित्रका पता लगता है। जहाँ घोषणा-पत्र अंग्रेजोंके चरित्रके उज्ज्वल पक्षको प्रकट करता है वहाँ जनरल डायरकी अमानुषिकताके बुरेसे-बुरे पक्षको भी प्रकट करता है। घोषणा पत्रसे प्रकट होता है कि सम्राट्के हृदय में न्याय करने की सदिच्छा है और जनरल डायरकी करतूत इस बातका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि मनुष्य भय और उत्तेजना में पड़कर शैतानका रूप धारण कर लेता है। इस तरह की इन दो घटनाओंका एकके बाद दूसरीका घटित होना मात्र संयोगकी बात है। सम्राट्ने जिस महान् विधेयकको स्वीकृति दी, यह घोषणा-पत्र उसीका एक अनिवार्य परिणाम है। इसे उसकी चरम परिणति कहना चाहिए। सुधार अधिनियम तथा घोषणा-पत्रको साथ मिलाकर पढ़ने और विचार करनेसे स्पष्टतः विदित हो जाता है कि ब्रिटिश लोग भारतके साथ न्याय करनेकी सदिच्छा रखते हैं। इसलिए इस सम्बन्धमें जिन लोगोंके हृदय में किसी तरह की आशंका हो वह इसे देखकर दूर हो जानी चाहिए। पर इससे मेरा यह अभिप्राय नहीं कि हमें हाथ पर हाथ रखकर शान्त होकर बैठे रहना चाहिए कि अब तो हमें सभी वांछित फल मिल जायेंगे। ब्रिटिश संविधान प्रणालीका यही रहस्य है कि कठिन संघर्ष किये बिना उससे किसी वस्तुकी प्राप्ति नहीं हो सकती। पालियामेंट में बार-बार ऐसे वक्तव्य दिये जाते रहे हैं कि ये सुधार भारतीय आन्दोलनके कारण मंजूर नहीं किये गये हैं, पर उनपर किसीको

  1. प्रस्तावका अनुमोदन दक्षिण आफ्रिकाके नादिरशाह कामा और समर्थन इंडियन सोशल रिफॉर्मरके सम्पादक क॰ नटराजन ने किया।