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पत्र : ए० एच० वेस्टको

जब मैने महाहादेवसे देवीकी कुशल-क्षेम पूछी तो पता चला कि पिछले कुछ समय से उसका कोई पत्र नहीं आया है। चूंकि वह पत्र-व्यवहारमें बहुत नियमित है इसलिए मुझे चिन्ता हुई।

जब आश्रम में मेरा रहना होता है तब इंडियन ओपिनियन' जरूर पढ़ लिया करता हूँ। मैं तो वह [ जानकारी] चाहता था जो तुम 'इंडियन ओपिनियन' के द्वारा मुझे नहीं दे सकते थे।

मुझे पूरा यकीन है कि मैंने दूसरा पत्र लिखनेके बहुत पहले ही पी० आर० [ पारसी रुस्तमजी ? ] को हिदायत दे दी थी। परन्तु मेरी चिट्ठियाँ कई हाथोंसे गुजरती हैं, इसलिए कभी-कभी वे इधर-उधर हो जाती हैं।

मणिलालको एक माहका नोटिस देकर उसकी ओरसे पत्रका सम्पादन करना बन्द कर दिया जाये। तुम्हारे इस कथनसे मैं सहमत हूँ कि अगर अब भी उसे लिखनेकी आदत नहीं हो पाई तो पत्रका प्रकाशन बन्द कर दिया जाये।

मेरी अब भी पत्रमें बाहरी विज्ञापन छापने या छापेखानेमें फुटकर छपाईका काम करनेकी राय नहीं है। परन्तु चूंकि मैं मणिलालकी रुपये पैसेसे मदद नहीं करना चाहता, इसलिए मैंने उससे कह रखा है कि वह अपनी जिम्मेवारीपर चाहे जो कर सकता है।

श्री एन्ड्रयूज[१] तो तफसीलोंके मामलेमें एक निकम्मे आदमी हैं। इसलिए उन्होंने मुझे सामान्य सूचनाएँ ही भेजी हैं। परन्तु प्रति सप्ताह पत्र – व्यक्तिगत अथवा सार्वजनिक - लिखनेके बन्धन से मैं तुम्हें मुक्त करता हूँ- जब लिख सको तभी लिखना। दक्षिण आफ्रिकाके सम्वाददाताके कामके लिए 'क्रॉनिकल' को मैंने तुम्हारा नाम सुझाया है। यदि तुम उनके लिए लिख सको, तो वे तुम्हें पारिश्रमिक देंगे। पारिश्रमिक स्वीकार करनेमें मुझे कोई हर्ज नहीं लगता।

मैं हमेशा की तरह काममें पूर्ण रूपसे व्यस्त हूँ। सुना जाता है, मेरी गिरफ्तारी शीघ्र ही होनेवाली है।

आश्रम बढ़ रहा है। हरिलाल कलकत्तेमें है। उसके बच्चे मेरे पास हैं; देवदास आज- कल मेरे साथ मुसाफिरीमें है। छगनलाल और मगनलाल यहीं मेरे पास हैं। आनन्दलाल[२] नवजीवन प्रेसका प्रबन्ध करता है। आश्रम, विद्यालय तथा बुनाईशाला लगातार प्रगति कर रहे हैं। मेरी इच्छा थी कि तुम इन चीजोंको किसी दिन स्वयं आकर देखते।

तुम सबको मेरा प्रेम।

हृदयसे तुम्हारा,

मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (सी० डब्ल्यू ० ४४३२) की फोटो - नकलसे। सौजन्य : ए० एच० वेस्ट

  1. सी० एफ० एन्ड्यूज (१८७१-१९४० ); अंग्रेज धर्म प्रचारक जिनकी मानवतापूर्ण सेवाओंके कारण भारतवासी उन्हें ' दीनबन्धु' के नामसे पुकारने लगे थे।
  2. गांधीजीके चचेरे भाई अमृतलालके लड़के ।