पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

८. सत्याग्रहियोंको डिगाने की कोशिश

माननीय श्री सी०वाई० चिन्तामणिने[१] ४ जुलाईके 'इंडिया' में अपने एक विशेष लेख में लिखा है कि सर माइकेल ओडायर[२] के-

बारेमें कहा जाता है कि वे रौलट कानून विरोधी आन्दोलन तथा सत्याग्रह- प्रदर्शनके खिलाफ कार्रवाई करनेके अपने इरादेकी घोषणा शान्तिभंग होनेके पहले ही कर चुके थे।

हमें ज्ञात है कि [ आन्दोलनके] कारण और परिणाम दोनों ही के बारेमें उन्होंने क्या- कुछ अन्दाज लगा रखा था। हमें यह भी मालूम है कि पंजाबकी शान्ति-भंग करनेमें उन्हें जबरदस्त सफलता मिली है। यद्यपि सर माइकेल इस समय सशरीर भारतमें उपस्थित नहीं हैं तथापि भावनाके रूपमें तो वे यहाँ हैं ही। जरा पंजाबके उन अनेक मामलोंपर जिनके बारेमें हम अपने विचार इस पत्रमें प्रकाशित कर चुके हैं, गौर कीजिए। अगर मार्शल लॉ के न्यायाधीशगण पंजाब अथवा भारतमें सत्याग्रहकी भावना समाप्त नहीं कर पाये तो निस्सन्देह इसमें उनका कोई दोष नहीं है; बल्कि इसमें दोष तो ओडायरकी उस भावनाका है जो यहाँसे ब्रह्मदेशतक जा पहुँची है और ब्रिटिश भारतके[३] उस प्रान्तके लेफ्टिनेन्ट गवर्नरमें भी उस भावनाकी झलक दिखाई पड़ रही है। 'एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडिया' की खबर के अनुसार ब्रह्मदेशकी सरकारके मुख्य सचिवने पहली अगस्तको ब्रह्मामें आयोजित प्रान्तीय सार्वजनिक सभाके दो संयोजकों को, जो भारतीय हैं, यह लिख भेजा है कि यदि सार्वजनिक सभामें ब्रह्मदेशकी सुधार योजनाके विषयमें ही वाद-विवाद किये जायें तो कोई आपत्ति नहीं होगी;

परन्तु प्रकाशित प्रस्तावोंकी आड़में या कार्यक्रममें गिनाये गये प्रस्तावोंके सिवा असंगत मामले प्रस्तुत करनेपर गम्भीर आपत्ति की जायेगी।

सचिव आगे चलकर कहता है कि

विशेष रूप से लेफ्टिनेन्ट गवर्नरका इरादा ऐसी सभाओंके लिए अनुमति देनेका नहीं है कि जिनमें सत्याग्रह छेड़नेका समर्थन किया जाये अथवा जिनमें पंजाबके हालके दंगोंको दबाने या रौलट अधिनियमको पास करनेके सिलसिलेमें सरकारकी नीति की आलोचना की जाये।

जनता ब्रह्मदेशको दिये जानेवाले राजनैतिक सुधारोंपर विचार व्यक्त करे परन्तु पंजाब में क्या घटनाएँ घटीं, उनसे वह कोई सरोकार न रखे। ब्रह्माकी सरकारने दूरदर्शितासे काम लिया है। उस दिन पहली अगस्तको रंगूनमें क्या हुआ सो हमें नहीं मालूम और न हमें यही मालूम है कि सभाके भारतीय आयोजकोंने मुख्य सचिवको

  1. सर चिरावुरी यज्ञेश्वर चिंतामणि (१८८०-१९४१ ); राजनीतिज्ञ तथा लीडरके सम्पादक।
  2. पंजाबके गवर्नर।
  3. बर्मा १९३५ तक भारतका अंग था।