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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मिलता है वहाँतक हम सहयोग करेंगे। यदि किसी भी प्रकारसे किसी भी स्वरूपमें आपका उद्देश्य भारतके गौरवको कम करना है, तो हम आपके काममें बाधा डालेंगे, आपको विफल करेंगे और आपके उद्देश्यको परास्त कर देंगे। यही संशोधन में आप लोगोंके सामने रखने आया हूँ। मैं फिर तिलक महाराजसे अपील करता हूँ और श्री दास तथा आपमें से हर एकसे अपील करता हूँ—अपनी सेवाके बलपर नहीं, और न अपने अनुभवके बलपर वरन् अकाट्य तंकोंके बलपर अपील करता हूँ। यदि आप अपनी सभ्यताको स्वीकार करते हैं, मैं 'भगवद्गीता' की टीकाके[१] रचयितासे कहता हूँ कि यदि वे 'भगवद्गीता' की शिक्षा मानते हैं, तो उन्हें श्री मॉण्टेग्युके प्रति मित्रताका हाथ बढ़ाना चाहिए। (हर्षध्वनि और तालियाँ)।[२]

[अंग्रेजीसे]
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके ३४ वें अधिवेशनकी रिपोर्ट।
 

२३८. तार : हबीबुद्दीनको[३]

[अमृतसर]
जनवरी ३, १९२०

आना असम्भव। आपके प्रतिनिधिको सब समझा दिया है।

पेंसिलसे लिखे हुए अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ७०२४) से।
 

२३९. पत्र : बम्बई उच्च न्यायालयके उप-पंजीयकको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
जनवरी ४, १९२०

श्री घरडा

उप पंजीयक
बम्बई

प्रिय श्री घरडा,

मैं अभी-अभी पंजाब से आया हूँ और आपका कैफियत तलबीका आदेश मुझे दे दिया गया है। मैं मान लेता हूँ कि मेरा इस सम्बन्धमें दिल्लीसे आपके नाम लिखा

  1. गीता रहस्य जिसे तिलकने बर्माकी मांडले जेलमें अपने बन्दी-कालमें लिखा था।
  2. प्रस्तावका अनुमोदन मो॰ अ॰ जिन्नाने किया था और पंडित मदनमोहन मालवीय, डाॅ॰ पट्टाभि सीतारामैया तथा सी॰ एस॰ रंगा अय्यरने समर्थन किया था। सुधार-कानून प्रस्तावपर विस्तृत विवरणके लिए देखिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके ३४ वें अधिवेशनका प्रस्ताव।
  3. गांधीजीको एक हड़तालके सिलसिले में जमशेदपुर आनेका निमंत्रण दिया गया था।