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२४४. उपद्रव जाँच समितिके सामने गवाही[१]

[अहमदाबाद
जनवरी ९, १९२०]

श्री मो॰ क॰ गांधी, बैरिस्टर, अहमदाबाद

अध्यक्षके प्रश्नोंके उत्तर में :

प्र॰ : श्री गांधी, हमें बताया गया है कि सत्याग्रह आन्दोलनके प्रणेता आप ही हैं?

उ॰ : ठीक ही बताया गया है, श्रीमन्।

कृपया आप हमें यह समझाइए कि इस आन्दोलनका मतलब क्या है।

इस आन्दोलनका उद्देश्य [कार्यसिद्धिके] हिंसात्मक तरीकोंकी जगह अहिंसात्मक तरीकोंको स्थापित करना है। यह आन्दोलन पूर्णरूप से सत्यपर आधारित है। इस आन्दोलनकी मेरी जो कल्पना है, उसके अनुसार यह कौटुम्बिक जीवनके नियमका राजनीतिक क्षेत्रमें प्रसार है, और अपने अनुभवोंके आधारपर मैं इस निष्कर्षपर पहुँचा हूँ कि वास्तविक या काल्पनिक शिकायतोंको दूर करनेके तरीकेके तौरपर, भारतके एक छोरसे दूसरे छोरतक फैली हुई हिंसाकी सम्भावनाओंसे यह और केवल यही आन्दोलन भारतको बचा सकता है।

जहाँतक इसका हमारी जाँचसे कोई सरोकार है, आपने उसे रौलट विधेयकोंके विरोधके सिलसिलेमें अपनाया है?

जी हाँ।

  1. उपद्रव जाँच समितिकी अध्यक्षता लॉर्ड इंटरने की थी। इस समितिमें न्यायमूर्ति रैंकिन, डब्ल्यू॰ एफ॰ राइस, मेजर जनरल सर जॉर्ज बैरो, पं॰ जगतनारायण, टॉमस स्मिथ, सर चि॰ ६० सीतलवाड और सरदार साहबजादा सुलतान अहमद खाँके अलावा एन॰ विलियमसन भी शामिल थे, जो समितिके मंत्री थे। समितिकी पहली बैठक दिल्लीमें ३१ अक्तूबर, १९१९ को हुई और फिर ३ नवम्बरसे १० नवम्बरतक। इसके बाद १३ नवम्बर से २१ नवम्बर तक और तदुपरान्त ११ दिसम्बरको समितिने लाहौर में गवाहियाँ लीं। दिल्लीमें जिन गैर-सरकारी गवाहोंसे पूछताछ की गई उनमें हकीम अजमल खाँ, प्रिंसिपल एस॰ के॰ रुद्र, लाला शंकरलाल और स्वामी श्रद्धानन्द शामिल थे। ब्रिगेडियर-जनरल डायर की पेशी समितिकी लाहौरको बैठकमें हुई। अहमदाबादकी बैठक ५ जनवरीसे १० जनवरीतक चली। वहाँ जिन गैर-सरकारी गवाहोंने गवाहियों दीं उनमें गांधीजीके अलावा जिला स्थानिक निकायके अध्यक्ष हरिभाई देसाईभाई देसाई, होमरूल लीगकी अहमदाबाद शाखाके मंत्री जीवनलाल व्रजराय देसाई, गुजरात सभाके मंत्री कृष्णलाल एन॰ देसाई, अहमदाबाद नगरपालिकाके अध्यक्ष रमणभाई एम॰ नीलकण्ठ, सत्याग्रह सभाके मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल, अम्बालाल साराभाई और अनसूयाबेन साराभाईके नाम विशेष रूपसे उल्लेखनीय हैं। गांधीजीकी यह लम्बी गवाही ९ जनवरीको शुरू हुई और ९ को ही समाप्त हो गई। १५ तारीखको समितिकी एक बैठक बम्बई में भी हुई। गांधीजीकी गवाही सार रूपमें यंग इंडिया में भी प्रकाशित हुई थी।