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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


और इस सम्बन्धमें आपने लोगोंसे वह प्रतिज्ञा लेनको कहा जिसे हम सत्याग्रहको प्रतिज्ञाके नामसे जानते हैं?

जी हाँ, मैंने कहा था।

सत्याग्रहकी प्रतिज्ञाके बारेमें मेरी कल्पना इस प्रकार है : आप बताइये क्या वह सही है? रौलट विधेयकोंके आपत्तिजनक अनुच्छेदोंके विवरणसे प्रारम्भ करके सत्याग्रही यह प्रतिज्ञा लेते हैं कि वे रौलट अधिनियम और ऐसे अन्य अधिनियमोंकी सविनय अवज्ञा करेंगे, जिनके बारेमें इस उद्देश्यसे गठित की जानेवाली समिति वैसा निश्चय करेगी। आपका इरादा क्या यह था कि इसके लिए आप जितने सत्याग्रही तैयार कर सकें, करें?

जी हाँ, जहाँतक इससे आन्दोलनको ठीक ढंगसे चलाने में कोई बाधा पहुँचनेका भय नहीं है। मतलब यह कि अगर मुझे ऐसे दस लाख लोग मिल जायें जिनमें सत्यको समझने, उसपर आचरण करनेकी क्षमता है और जो हिंसात्मक कार्रवाई से बिलकुल अलग रह सकते हैं तो में दस लाख लोगोंको भी इसमें बेहिचक शामिल कर लूँगा।

तो क्या आपको जितने लोगोंके बारेमें यह भरोसा हो जायेगा कि वे इस आन्दोलनके स्वरूपको समझते हैं, उतने लोगोंको आप सत्याग्रहीके रूपमें शामिल कर लेंगे?

जी हाँ।

क्या आपका आन्दोलन तत्त्वतः सरकार-विरोधी नहीं है? क्या आप सरकारकी इच्छाके स्थानपर इस समितिके निश्चयको प्रतिष्ठित नहीं कर रहे हैं?

जहाँतक मैं समझता हूँ ऐसा नहीं है। इस आन्दोलनकी कल्पना इस रूपमें नहीं की गई है और साथ ही यह भी कि जहाँ-कहीं यह आन्दोलन मेरे नेतृत्वमें चलाया गया है वहाँ जनताने इसे इस रूपमें नहीं समझा है।

श्री गांधी, इसपर आप तनिक सरकारके दृष्टिकोणसे तो सोचकर देखिए। अगर आप ही सरकार हों और कोई व्यक्ति ऐसा आन्दोलन छेड़ दे कि आपके किसी भी कानूनका पालन नहीं किया जायेगा और उसके बदले किसी समितिकी इच्छाका ही पालन किया जायेगा तो आप उसके विषयमें क्या कहेंगे?

लेकिन इस उदाहरणमें तो सत्याग्रहियोंका पक्ष पूरी तरह पेश नहीं होता। मैं इसे यों कहना चाहूँगा। अगर किसी देशकी सरकारका जिम्मा मेरे हाथोंमें हो और मैं अपने सामने किसी ऐसे जन-समूहको डटा पाऊँ जो सत्यको ढूंढने के लिए कृत संकल्प हो, जिसने हिंसा, उपद्रव और आगजनी आदिका सहारा लिये बिना अन्यायपूर्ण कानूनोंका निराकरण करानेका निश्चय कर लिया हो तो मैं उस जन-समूहका स्वागत करूँगा और समझँगा कि जो लोग उस समूहमें शामिल हैं वे तो सर्वोत्तम विधानवादी हैं—शासककी हैसियतसे मुझे इस सम्बन्धमें सलाह और सहायताके लिए उनसे बढ़कर और कोई नहीं मिलेगा क्योंकि वे मुझे बराबर सही रास्तेपर आरूढ़ रखेंगे।