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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


तब तो हड़तालियोंका दूसरे लोगों से हड़ताल करनेका ऐसा अनुरोध, जिसे सक्रिय अनुरोध कहा जा सकता हो, निन्दनीय माना जायेगा?

बिलकुल बशर्तें कि यह सक्रिय अनुरोध हड़तालके दिन ही किया गया हो। वह तो हर हालत में अनुचित माना जायेगा। लेकिन अगर लोगोंको हड़तालके लिए तैयार करनेके उद्देश्यसे पर्चे बांटे गये हों और उनसे सभाओंमें या अलग-अलग उनके घर जाकर भी, यह कहा गया हो कि हड़ताल करना आपके लिए बिलकुल उचित काम है तो उसे अनुचित नहीं माना जायेगा।

हम यह तो निश्चित तथ्यके रूपमें जानते हैं कि आपके आन्दोलनके सिलसिले में बहुत-सी सभाएँ की गई, और उन सभाओंमें आपके विचारोंसे सहानुभूति रखनेवाले सज्जनोंने लोगोंको आम तौरसे यह समझाने की कोशिश की कि आप जो रास्ता बता रहे हैं, उसे अपनाना बिलकुल उचित होगा; और उस आम आन्दोलनके परिणामस्वरूप देश भर में आपके विचारोंके अनुसार हड़ताल करनेके पक्षमें बड़ा व्यापक प्रचार किया गया। यह तो सच है न?

जी हाँ।

लेकिन अब अगर मैं आपकी बातको ठीक समझ रहा हूँ तो हड़तालियोंकी, हड़ताल के दिन, लोगोंको अपने ताँगों या मोटरगाड़ियोंसे उतारनेकी कोशिश आपकी दृष्टिमें गलत थी?

यह बात सुनकर मुझे बड़ा सदमा पहुँचा था।

तो यह तो आपके सिद्धान्तके बिलकुल विरुद्ध था?

जी हाँ, बिलकुल विरुद्ध।

और अगर ऐसी कोई बात हुई हो तो हिंसा और दंगा-फसाद होना भी लाजिमी था?

जी हाँ, लाजिमी ही था।

तो क्या मैं यह मानूँ कि जो लोग हड़तालमें शामिल थे और दूसरोंको भी शामिल होनेके लिए जबरदस्ती मजबूर कर रहे थे, पुलिस या असैनिक अधिकारियोंका उन्हें रोकना आप तबतक अनुचित नहीं समझेंगे जबतक कि पुलिसने पर्याप्त आत्मसंयम और सहिष्णुतासे काम लिया हो?

जी हाँ, मैंने देखा कि पुलिसके सामने वैसा करनेके अलावा और कोई रास्ता ही नहीं था।

और अगर आपका विचार ऐसा है तो जो-कुछ घटित हुआ उसके अनुसार में तो मानता हूँ कि आप इस बातको और भी ज्यादा स्वीकार करेंगे कि जिन लोगोंने दुकानदारों के पास जाकर उनसे अपनी दुकानें बन्द करने को कहा, उनका यह कार्य अनुचित था?

जी हाँ, हड़तालके दिन उनका ऐसा करना बहुत अनुचित था।