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उपद्रव जांच समिति के सामने गवाही

उनसे कानून तोड़नेको कहना दूसरी बात और में इसी अन्तरको स्पष्ट करनेकी कोशिश कर रहा हूँ।

अब हम उन घटनाओंकी बात लें, जिनसे स्वयं आपका भी सम्बन्ध था। आप दिल्ली और पंजाब जाना चाहते थे, लेकिन पलवल में आपको रोक लिया गया और वहाँसे बम्बई लाया गया—है न?

जी हाँ।

जैसा मुझे मालूम हुआ है, आप औपचारिक तौरपर ही तो गिरफ्तार किये गये थे?

जी नहीं, मुझे औपचारिक तौरपर भी गिरफ्तार किया गया था और तत्त्वतः भी—गिरफ्तारी के पूरे अर्थोंमें। और यह देखकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि कई अवसरोंपर लोगोंने कहा कि बात ऐसी नहीं[१] है। गाड़ी मथुरा और पलवलके बीच रुकी और जब हम सीमापर पहुँचे तब मुझपर हुक्म तामील किया गया। पुलिस अधिकारीने मुझसे बहुत ही शिष्टतापूर्वक बातें करते हुए कहा कि इस मामूलीसे स्टेशनपर आपको गिरफ्तार करते हुए हमें बहुत बुरा लगेगा; यहाँ तो हमें कोई मजिस्ट्रेट भी नहीं मिल सकता और मैं यह भी नहीं जानता कि हमें क्या कार्रवाई करनी चाहिए। हम पलवल स्टेशन पहुँचे। वहाँ मैंने पुलिस अधीक्षकको देखा—मेरा खयाल है, वह दिल्लीका पुलिस अधीक्षक था। उसके अलावा कर्मचारियोंका भी एक दल वहाँ मौजूद था। मेरा खयाल है, वे सब कांस्टेबल थे—वैसे ठीक-ठीक नहीं बता सकता कि वे कौन थे। अधिकारीने मेरे कंधोंपर हाथ रखते हुए कहा कि "श्री गांधी, में आपको गिरफ्तार करता हूँ।" उसने मुझपर दो हुक्म तामील किये और अपना विस्तर-बक्सा अलग करने को कहा। यह काम उसने खुद मुझसे नहीं करवाया, बल्कि दूसरोंसे करवाया और मुझे यह बताने को कहा कि क्या-क्या अलग करना है। फिर उसने पूछा कि क्या कोई ऐसा आदमी है जो मेरे साथ चलना चाहता हो, इसपर एक मित्र मेरे साथ हो लिए। मुझपर पुलिसका पहरा लगा दिया गया। मैं अपना गला साफ करनेके लिए प्लेटफार्मपर जाना चाहता था, लेकिन पुलिसने मुझे रोक दिया। उन्होंने ठीक ही किया। बाकायदा गिरफ्तारी के लिए जो कुछ जरूरी था, सब किया गया।

और मैंने सुना है, उसमें कुछ ज्यादती भी की गई थी?

जी नहीं, मैं यह नहीं कहता कि वह कुछ ऐसी बुरी चीज थी। पुलिसको—जैसा कि स्वयं उन लोगोंका कहना था—एक दुःखद कर्त्तव्य निभाना पड़ा, लेकिन

  1. नवम्बर ५ को जब दिल्लीके मुख्य आयुक्तकी गवाही ली जा रही थी तो उनसे पूछा गया कि क्या गांधीजीको सचमुच गिरफ्तार नहीं किया गया था। लेकिन प्रश्नको टालते हुए उन्होंने जवाब दिया कि "उन्हें निगरानी में ले लिया गया था"। गांधीजीको निषेधाज्ञा कोसीमें दी गई थी, जिसे मानने से उन्होंने इनकार कर दिया था। पलवल में उन्हें हिरासत में ले लिया गया और वहाँसे पुलिसकी चौकसीमें मथुरा लाया गया और उस रात उन्हें वहीं रखा गया। दूसरे दिन सुबह उन्हें बम्बईके लिए एक विशेष गाड़ी में बैठाया गया।