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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उसने यह सब उतनी भद्रता और शिष्टताके साथ किया जितनी भद्रता और शिष्टताकी किसी भी सज्जन व्यक्तिसे अपेक्षा की जा सकती है।

क्या आप ऐसा नहीं मानते कि सरकार के आदेशकी रू से आपसे बस इतनी ही अपेक्षा की जाती थी कि आपको दिल्ली या पंजाब नहीं जाना था बल्कि वापस बम्बई लौट आना था?

जी हाँ, और जहाँ गाड़ी रोकी गई,[१] वहाँ पुलिसने भी ठीक यही बात कही थी। लेकिन गिरफ्तार होने के समयतक में सचमुच अपराध कर चुका था। इसलिए मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। जिस अधिकारीने मुझे गिरफ्तार किया था उसे यह नहीं मालूम था कि मेरे साथ क्या कार्रवाई करनी है। मथुरा आनेपर मुझे और भी आदेश प्राप्त हुए।

और इन आदेशों में आपसे वापस बम्बई जानेको कहा गया था?

जी नहीं, बिलकुल नहीं। मुझे पहरेमें ले जाया गया। व्यवस्थामें दो बार परिवर्तन हुआ। यह जो पहला पुलिस अधिकारी था, उसे तो यह भी नहीं मालूम था कि क्या करना है। उसने कहा कि मुझे सीधे सेक्रेटरीके पास ले जाया जायेगा। और इसलिए मुझे इस आदेशकी प्रतीक्षा करनी होगी कि मेरे बारेमें अधिकारियोंको क्या करना है। इसके बाद सवाई माधोपुरमें, जहाँ पेशावरवाली गाड़ीका बम्बईवाली गाड़ीसे मेल होता है, उसने श्री बाउरिंगसे कुछ बात की। मुझे कमिश्नरके पास ले जाया गया। उसके पास कुछ आदेश पड़े थे और उसीके आदेश प्रस्तुत करनेपर मुझे बम्बई ले जाया गया। लेकिन स्वयं श्री बाउरिंगको इस बातकी कोई जानकारी नहीं थी कि मुझे बम्बई ले जानेके बाद क्या करना है। मेरा खयाल है, सूरतमें उनसे एक अधिकारी मिला जो बम्बईसे आया था। उसने मुझसे कुछ बातचीत की। सुबहका समय था। इस अधिकारीसे बातें करनेके बाद श्री बाउरिंगने कहा कि मुझे बम्बईमें स्वतंत्र कर दिया जायेगा।

इसका तो इतना ही मतलब हुआ कि सरकार के एक आदेशके द्वारा आपको यह स्पष्ट कर दिया गया था कि आपको दिल्ली या पंजाब नहीं जाने दिया जायेगा, लेकिन अगर आप बम्बई में रहेंगे तो आपको पूरी स्वतंत्रता होगी—यही न?

जी, बम्ब प्रान्तमें तो निश्चय ही।

तब तो यह बात इससे तनिक अलग है न कि आपको पकड़कर जबरदस्ती जेलमें डाल दिया गया?

मुझे नहीं मालूम कि किसीने सरकारपर ऐसा कोई आरोप लगाया कि मुझे जबरदस्ती जेलमें डाल दिया गया था। सभीने यही पूछा कि जब में गिरफ्तार किया गया, उस समय सचमुच क्या किया गया। मुझे तो ऐसा याद नहीं कि किसीने इस बात को लेकर सरकारकी शिकायत की हो। हाँ, यह अवश्य कहा गया कि सरकारको मुझे अपने शान्ति कार्यसे विमुख करनेकी कोई जरूरत नहीं थी, और यह तो सरकार जानती थी कि मेरा उद्देश्य वही था और में उसके लिए कृतसंकल्प था।

  1. कोसीमें।