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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


मान लीजिए किसी सत्याग्रहीने इन दंगोंके दौरान किसीको कोई बहुत गम्भीर अपराध करते देखा है और अपने सामने करते देखा है तो क्या पुलिसको उसकी सूचना वेना उसका कर्त्तव्य नहीं है?

इसका जवाब तो मैंने श्री गाइडरको भी दिया है और मेरा खयाल है मुझे यहाँ भी जवाब देना चाहिए। मैं देशके नौजवानोंको गुमराह नहीं करना चाहता, लेकिन मेरा कहना है कि अगर में ऐसा न करूँ तब भी वे अपने भाईके विरुद्ध जाकर गवाही नहीं दे सकते, और जब में भाईकी बात कहता हूँ तब उसमें आप देशका या ऐसा अन्य कोई भेद न समझें।

आपकी सत्याग्रहकी प्रतिज्ञाको जैसा मैंने समझा है, उसके अनुसार तो उसमें भारतीय या यूरोपीय राष्ट्र-जैसा कोई भेद नहीं रखा गया है?

जी नहीं, बिलकुल नहीं। और में यह कहना चाहूँगा कि यह चीज इसमें बिलकुल सहजात ही है। वह एक ही साथ दो विपरीत काम तो नहीं कर सकता। मैं कई वर्षोंसे जघन्यसे-जघन्य अपराध करनेवाले अपराधियोंसे मिलता आ रहा हूँ। और में जानता हूँ कि मैं उन्हें इस दुर्वृत्तिसे विमुख कराने में कुछ हदतक ही सही, लेकिन फिर भी सहायक सिद्ध हुआ हूँ। अगर मैं एक आदमीका भी नाम बता दूँ तो मैं उनका विश्वास खो बैठूँगा। मेरा कर्त्तव्य तो वहीं समाप्त हो जाता है। अगर मुझमें साहस हुआ तो जो आदमी कोई अपराध-कर्म करने जा रहा है, उसे विमुख करनेके लिए मैं अपनी जानकी बाजी लगा दूँगा, लेकिन इतना कर चुकनेके बाद या ऐसा करने में अपने-आपको असमर्थ पानेके बाद मुझपर दूसरे कर्त्तव्यका दायित्व नहीं आ जाता—यानी मेरे लिए यह जरूरी नहीं होगा कि में सीधे पुलिसके पास जाऊँ और उसे सारी बातों से अवगत करा दूँ।

लेकिन श्री गांधी, क्या आप यह नहीं मानते कि अगर कोई आपका विश्वास करके आपको कोई जानकारी देता है और आप जाकर उसकी सूचना पुलिसको दे देते हैं तो यह एक बात है और जो अपराध आपके सामने किया गया है उसके सम्बन्धमें कुछ कहना बिलकुल दूसरी बात है? और आप यह कहते हैं न कि पुलिसको सहायता देना सत्याग्रहीका कत्तंव्य नहीं है?

जी नहीं, मेरा कहना है कि सत्याग्रहीका यह बिलकुल सीधा-सादा कर्त्तव्य है कि वह पुलिसकी सहायता न करे और किसी ऐसे अपराधके सिलसिलेमें भी, जो बिलकुल उसके सामने किया गया हो और जिसे रोकनेकी उसने खुद कोशिश की हो, वह अदालत में कोई गवाही न दे। लेकिन में इस सिद्धान्तको उस खतरनाक सीमातक नहीं खींच ले जाना चाहता। मेरा खयाल है, इसकी छूट बहुत थोड़ेसे मामलोंमें ही हो सकती है, लेकिन अगर कोई सत्याग्रही प्रतिज्ञापर हस्ताक्षर करके अपने आपको अपराधियोंको दण्डित करानेके दायित्वसे मुक्त कर लेनेकी सोचता है तो यह सत्याग्रहके सिद्धान्तके साथ बलात्कार करना होगा; और फिर सत्याग्रहकी प्रतिज्ञामें ऐसी कोई बात कही भी नहीं गई है। लेकिन अगर किसीने अपने जीवनको सत्याग्रहकी मेरी विनम्र कल्पनाके अनुसार ढाला हो तो मेरा खयाल है उसके लिए ऐसा करनेकी कोई