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उपद्रव जाँच समिति के सामने गवाही

ध्यान से देखने-समझने की कोशिश करता आया हूँ, मैं इसका मूल्य समझता हूँ और यह मुझे बहुत पसन्द भी है, लेकिन इसे पूरी तरह न तो कभी मैं समझ पाया हूँ और न लोग ही। आगे उन्होंने लिखा था कि क्या ही अच्छा होता अगर आप अमृतसर आकर मेरा आतिथ्य स्वीकार करते और सत्याग्रहके सिद्धान्तपर प्रकाश डालते हुए कुछ भाषण देते—क्योंकि लोग ऊपरसे इसे जितना समझ पाये हैं, उतनेसे तो वे इसपर मुग्ध हैं। चूँकि मैं पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारीके आधारपर यह जानता था कि रास्ते में इस पत्रकी जाँच-पड़ताल करके इसकी प्रतिलिपि तैयार कर लेनेके बाद यह मुझे दिया गया है, इसलिए मैंने डॉ॰ सत्यपालसे कह दिया कि मैं अवसर मिलते ही जल्दसे-जल्द ऐसा करूँगा। इसी बीच मुझे स्वामी श्रद्धानन्दकी एक चिट्ठी मिली, जिसमें उन्होंने मुझसे दिल्ली आनेको कहा था। दिल्लीके लोग वहाँके नेताओंके काबूसे बाहर हुए जा रहे थे। भारतके सभी बड़े नगरोंकी अपेक्षा दरअसल दिल्लीके लोगोंकी अनुकूल प्रतिक्रिया कभी हुई ही नहीं। कमसे कम मेरी तो यही मान्यता है और मुझे जानकारी भी ऐसी ही दी गई है। उन्होंने लिखा था कि अगर आप यहाँ (अर्थात् दिल्ली) आ जायें—चाहे एक दिनके लिए ही सही—तो मुझे बड़ी प्रसन्नता होगी। उन्होंने एक नहीं, दो या तीन तार भी भेजे, जिनमें से कमसे कम दोके[१] बारेमें तो मुझे याद है।

ये तार किस तारीखको भेजे गये? क्या दिल्लीकी ३० तारीखकी घटनाओंके बाद?

जी हाँ, ३० मार्चकी घटनाओंके बाद और ६ तारीखकी हड़तालसे पहले, और इसलिए मैंने शायद उन्हें एक तार[२] भेजकर सूचित किया कि मैं आऊँगा, लेकिन हड़तालके तुरन्त बाद। बम्बईमें सब कुछ ठीक-ठीक निभ जाये, इसके लिए मैं बहुत उत्सुक था, और आखिर ऐसा ही हुआ। मैं इस बात के लिए भी अत्यन्त उत्सुक था कि अपनी योजनाके अनुसार सारी व्यवस्था हो जानेपर हमें सविनय अवज्ञा प्रारम्भ कर देनी चाहिए। अतः एक दिन पूरा हमने इसी में लगाया और ८ तारीखको गाड़ी पकड़कर मैं रवाना हो गया। लेकिन उनका पहला तार मुझे ३० मार्च और ६ अप्रैलके बीच मिला।

में इस सम्बन्धमें भी आपको कोई कष्ट नहीं देना चाहता, लेकिन क्या ये तार या इनकी प्रतियाँ आपके पास होंगी?

अगर होंगी तो मैं निश्चय ही आपकी सेवामें प्रस्तुत कर दूँगा। वैसे आम तौर पर तो मैं ऐसे कागजात नष्ट कर दिया करता हूँ, और कारण सिर्फ इतना है कि

  1. स्वामी श्रद्धानन्दने समितिको दिये गये अपने लिखित बयानमें इन तारोंकी चर्चा की थी। पहला तार भेजते हुए उन्हें "पूरा विश्वास था कि लोगोंके साथ गांधीजीके व्यक्तिशः सम्पर्क में आनेके फलस्वरूप उन्हें सत्याग्रहके सिद्धान्तोंसे अनुप्राणित करने में हमें सुविधा होगी।" दूसरे तारमें गांधीजीको दिल्ली आनेके लिए राजी हो जानेपर धन्यवाद दिया गया था।
  2. स्वामी श्रद्धानन्दके अनुसार गांधीजीने उत्तर भेजा था कि वे मंगलवार की शाम पानी ८ तारीखको बम्बई से चलेंगे। उस दिन उन्होंने फिर तार भेजा : "कल शाम वहाँ पहुँच रहा हूँ। कृपया मेरे आनेको बात अपने तक ही रखें। किसी प्रकारका प्रदर्शन नहीं चाहता।"