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उपद्रव जाँच समितिके सामने गवाही


१४ को। आप गुजरातीमें बोल रहे थे और यह वह भाषण[१] है, जिसे आपने इस तरह शुरू किया था : "अहमदाबादमें जो घटनाएँ पिछले ४ दिनोंमें हुई हैं उससे अहमदाबादकी बड़ी बदनामी हुई है।" इस रिपोर्टके अनुसार आपने जो कुछ कहा, वह कुछ ऐसा जान पड़ता है : "इस प्रकार हम देख सकते हैं कि अहमदाबादमें हुई घटनाओंसे कुछ भी लाभ नहीं हुआ, इतना ही नहीं सत्याग्रहको भारी नुकसान पहुँचा है। यदि मेरे पकड़े जानेके बाद लोगोंने केवल शान्ति रखकर आन्दोलन किया होता तो अबतक या तो रौलट विधेयक उड़ जाते या उड़नेके करीब होते। अब यदि इन कानूनों के रद होने में देर हो तो जरा भी आश्चर्यकी बात न होगी। शुक्रवारके दिन जब में छूटा तब मेरा यह इरादा था कि में रविवारको वापस दिल्लीकी तरफ चल बूँ और गिरफ्तार होनेका प्रयत्न करूँ। इससे सत्याग्रहको अधिक बल मिलता। अब तो दिल्ली जानेके बजाय मेरा सत्याग्रह अपने ही लोगोंके विरुद्ध होगा।" तो आपने जो यह फिर गिरफ्तार होनेकी बात कही वह इसलिए कि मनमें एक विचार आया और कह दिया या आपने शान्तिपूर्वक सोच-समझकर फिर दिल्ली जाकर गिरफ्तार होनेका निश्चय किया था?

मैंने सोच-समझकर ही ऐसा निश्चय किया था। पुलिस कमिश्नर श्री ग्रिफिथसे मैंने कहा था कि अगर कोई गम्भीर बात बीचमें न हो गई तो मेरा इरादा ऐसा ही करनेका है।

आपका मतलब श्री जेफरीजसे है?

जी नहीं, बम्बईके पुलिस कमिश्नर श्री ग्रिफिथ। यह बात मैंने श्री प्रेंटसे भी कही थी।

मैंने अबतक तो उनके बारेमें कुछ नहीं सुना है। वे हमारे लिए नये आदमी हैं। खैर, अब यदि यह मान लें कि आपको दिल्ली जानेसे अन्यायपूर्वक रोक दिया गया तो दुबारा गिरफ्तार होनेके लिए दिल्ली जानेमें आपका क्या उद्देश्य था?

सत्याग्रहीके रूपमें, एक बार गिरफ्तार करके छोड़ दिये जानेपर, यह हमारा कर्तव्य है कि हम दुबारा गिरफ्तार होनेकी कोशिश करें और कारावासको बार-बार आमन्त्रित करें। यही मेरा उद्देश्य था और कुछ नहीं।

वैसे मैं तो नहीं जानता और मुझसे ज्यादा अच्छी तरह आप ही जानते होंगे, लेकिन हमेशा जेल जाते रहना ही तो सत्याग्रहीका कर्त्तव्य नहीं है?

जी हाँ, हमेशा तो नहीं है।

तब आपके विचारसे, आप जो दुबारा गिरफ्तार होना चाहते थे, उसका क्या कारण था?

स्वयं आगे बढ़कर कष्ट उठाना। अगर मैं सविनय अवज्ञा भंगका संघर्ष छेड़ता हूँ तो यही एकमात्र रास्ता है, जिसपर चलकर में यह संघर्ष कर सकता हूँ।

  1. देखिए खण्ड १५, पृष्ठ २२८-३२।