पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/४७५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४४१
उपद्रव जाँच समितिके सामने गवाही


क्या आप मानते हैं कि वह भी कोई संगठित आन्दोलन था?

जी नहीं, वह संगठित नहीं था, और यह सब निश्चय ही एक खास दलके लोगोंने किया था, जिनमें से कुछ लोग तो सचमुच शराबी थे। वे लोग स्टेशन गये। वहाँ वे इसी इरादेसे गये या नहीं, इसके बारेमें मेरे पास कोई साफ सबूत नहीं है, लेकिन स्टेशन पहुँचकर उन्होंने कहा कि "आओ, हम ऐसा करें।"

यह संगठित इस मानमें नहीं था कि शहरके लोग इसके पीछे थे?

जी नहीं, इसके विपरीत, मेरा विश्वास है कि अगर शहरके लोगोंको ऐसी किसी चीजका पता चल गया होता तो उन्होंने मौकेपर पहुँचकर उन लोगोंको भगा दिया होता। हो सकता है मैं गलत होऊँ, लेकिन मेरा विचार यही है और यह विचार उन लोगोंके साक्ष्यपर आधारित है जिनके बारेमें मेरे मनमें बड़े ऊँचे खयाल हैं। मैं नहीं समझता, वे लोग मुझे जान-बूझकर धोखा देंगे।

जिन लोगोंके बारेमें आपको यह खबर दी गई कि उन्होंने गाड़ीको उलटनेमें भाग लिया, उनपर कभी मुकदमा नहीं चलाया गया?

मुझे नहीं मालूम कि उनपर या किसी और पर मुकदमा चलाया गया, क्योंकि मुझे लोगोंके नाम मालूम नहीं हैं।

तो श्री गांधी ये उपद्रव होनेके बाद आपने सविनय अवज्ञाकी हदतक अपना सत्याग्रह-प्रचार बन्द कर दिया। यह बात १८ अप्रैलकी है न?

जी हाँ।

मेरा खयाल है यह नोटिस जारी करते हुए आपने ऐसा महसूस किया कि वर्तमान परिस्थितियों में सार्वजनिक आन्दोलनके रूपमें सविनय अवज्ञा चलाना बुद्धिमानी का काम नहीं है?

उन परिस्थितियोंमें उस समय यह चीज अवसरोचित नहीं थी। मैं भीड़की हिंसात्मक प्रवृत्तिको रोक नहीं पा रहा था।

तो मौजूदा परिस्थितियोंमें आपको लगा कि इस आन्दोलनको सार्वजनिक रूपमें चलाना बुद्धिमत्ताका काम नहीं है?

जी हाँ।

और तब उस परिस्थितिमें आपने यह आन्दोलन सिर्फ स्थगित कर दिया और अगर मैं भूल नहीं रहा हूँ तो यह नोटिस जारी किया कि आप फिर जुलाई महीने में इसे शुरू करना चाहते हैं—यही न?

जी हाँ, १ जुलाईको।

क्या उस समय आपने जो नोटिस जारी किया, वह आपके पास है?

जी हाँ, है तो, लेकिन अभी साथमें नहीं है। मगर न्यायमूर्ति श्री रैंकिनके पास है।

तो आपने सोचा कि दो महीने में लोग अपेक्षित स्तरतक ऊँचे उठ जायेंगे और सरकारकी सैनिक व्यवस्था भी पूरी हो जायेगी?

ऐसा तो मैं कह चुका हूँ। यही बात मैंने अपने पत्रमें लिखी है।