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उपद्रव जाँच समितिके सामने गवाही


तो आपको यह आशा थी कि लोग दो महीनेमें असली सविनय अवज्ञा आन्दोन प्रारम्भ करनेके योग्य बन जायेंगे। क्या आपकी यह आशा फली भूत हो पाई है?

खुद मैं तो यह समझता हूँ कि यह आशा फलीभूत हो जाती अगर मैंने उस समय सत्याग्रह फिर आरम्भ कर दिया होता। यह बिलकुल दुस्साहसपूर्ण प्रयोग मैंने १७ अक्तूबरको किया। वास्तवमें यह आशा फलीभूत नहीं हो पाई है। अगर सभी लोग सत्याग्रहके सिद्धान्तपर अमल करने योग्य बन जायें—क्षमा कीजिएगा, यह बात मैंने अपने पत्र में नहीं कहीं है। मैंने जो कहा है वह यह कि हमें लोगोंकी अप्रत्यक्ष सहायता प्राप्त होगी; वे दूसरोंको हिंसा करनेको उत्तेजित नहीं करेंगे और खुद भी हिंसा नहीं करेंगे।

अगर मैंने आपकी बातें ठीकसे सुनों तो आपने यही तो कहा था कि "दो महीने में हम सत्याग्रह आरम्भ करनेके योग्य हो जायेंगे।"

यहाँ मैंने उस अर्थके बारेमें बताया है जिस अर्थ में 'योग्य' शब्दका प्रयोग किया गया है। योग्य होंगे, क्योंकि तबतक लोगोंको सत्याग्रहका सन्देश मिल चुका होगा और वे आन्दोलनमें भाग तो नहीं लेंगे लेकिन उससे सहानुभूति रखेंगे और साथ-साथ आन्दोलन भी चलता रहेगा।

प्रथम तो आपने यह बताया कि लोगोंने आपके मतको अन्तःप्रकृतिका अनुभव नहीं किया, और इसलिए सविनय अवज्ञामें हिंसा आगई और इसलिए आप इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि देशके हित में—अमन और कानूनके हकमें इसे स्थगित कर देना बहुत जरूरी है, यही न?

इस सम्बन्धमें सवाल किये गये हैं कि इसे फिर कब प्रारम्भ किया जायेगा। उत्तर में आपने कहा, आप १ जुलाईको ऐसा कर पायेंगे। कारण बताते हुए आप कहते हैं "इस अवधि में लोग इस योग्य हो चुकेंगे।"

सत्याग्रहका सन्देश पाकर।

आपका मतलब यह था कि तबतक लोग सत्याग्रहकी वास्तविक अंतःप्रकृतिको अनुभव कर लेंगे और इस प्रकार वे सविनय अवज्ञाका आचरण कर सकेंगे?

मैं लोगोंसे सत्याग्रहकी अन्तःप्रकृतिको अनुभव करनेकी तो अपेक्षा नहीं करूँगा, लेकिन यह अनुभव करनेकी अपेक्षा अवश्य करूँगा कि फिर आन्दोलन में शामिल होना या कमसे कम आन्दोलनकी प्रगतिमें व्यवधान न डालना भी उनके लिए ज्यादा अच्छा है।

लेकिन यह तो इस कथन कि "में लोगोंके इस योग्य होनेकी आशा करता हूँ आदि" से बिलकुल भिन्न बात है?

यहाँ शब्द 'योग्य' से ही इस अर्थका बोध होता है, और मैं आपसे अनुरोध करूँगा कि इस शब्दका जो अर्थ में लगाता हूँ उसे आप स्वीकार करें। खयाल है आपको यहाँ यह अर्थ मिल जायेगा; अगर नहीं, मेरा तो तो यही इस शब्दकी व्याख्या है।