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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


इससे प्रकट होता है कि आपसे जो आवेदन निवेदन किया गया उसके फलस्वरूप आपने इस घोषणापत्रमें जो स्थिति अपनाई थी उसमें परिवर्तन कर दिया?

जी हाँ, बेशक। मैंने उस समय सत्याग्रह स्थगित कर दिया।

तो अब आप फिर सविनय अवज्ञा तब प्रारम्भ करेंगे जब आपको यह विश्वास हो जायेगा कि लोग इसके योग्य हो गये हैं, कि इसके परिणाम-स्वरूप हिंसाका खतरा ही नहीं रह गया है?

या फिर तब जब मेरे सामने स्वयंमेव कोई ऐसी परिस्थिति आ जायेगी जिसके कारण इस सिद्धान्तका प्रचार सम्पन्न हो चुका हो।

लेकिन अगर लोग इसके योग्य नहीं हो पाते और अगर हिंसाको रोकनेका एकमात्र उपाय सैनिक संगठन ही रह जाता है तब तो आप उसे फिर प्रारम्भ नहीं करेंगे?

हाँ, अगर सैनिक संगठन उसी उद्देश्यसे किया गया हो तो नहीं करूँगा।

अहमदाबादकी १० और ११ तारीखकी घटनाओंके बारेमें आप कहते हैं कि भीड़का आचरण निस्सन्देह अनुचित था और उसका किसी तरह बचाव नहीं किया जा सकता, लेकिन साथ ही सरकारके बारेमें भी आप कहते हैं कि उसने वैसा निर्णय कर अक्षम्य अपराध किया। क्या आप सरकारकी उन कार्रवाइयोंके बारेमें स्पष्ट रूपसे बता सकेंगे जिन्हें आप इस श्रेणीमें रखते हैं?

मैंने कहा कि सरकारने मेरी गिरफ्तारीका निर्णय करके एक ऐसी भूल की जिसे क्षमा नहीं किया जा सकता। मेरा मतलब उसीसे है। मैं इस स्थानपर सरकार द्वारा की गई किसी भूलकी बात नहीं कर रहा हूँ। मैंने सुना है कि उन दो व्यक्तियोंने—नाम याद नहीं आ रहे हैं—कुछ ऐसा आचरण किया जिससे भीड़में उत्तेजना फैली; लेकिन मैंने यह नहीं माना कि इसी कारण भीड़ द्वारा कानूनको अपने हाथोंमें ले लेना कुछ उचित सिद्ध हो जाता है।

तो अहमदाबादमें सरकारने जो कदम उठाये उनमें आप निर्णयको कोई भूल नहीं मानते?

मैं इतना ज्यादा तो नहीं कह पाऊँगा। मैं यह कहने को तैयार नहीं हूँ कि यहाँ कोई निर्णयकी भूल हुई ही नहीं। दरअसल मैंने इस सम्बन्धमें सच्चाई जाननेकी कभी चिन्ता ही नहीं की। जब मैंने एक बार अपने मनमें तय कर लिया कि लोगोंके एक भी अनुचित कार्यको क्षम्य नहीं मानना है तो फिर मुझे दोनोंकी गलतियों को तुलावर चढ़ाकर तोलने की जरूरत ही नहीं रह गई थी। मैं यह कहनेको तैयार नहीं हूँ कि यहाँ सरकारने निर्णयकी कोई भूल की या नहीं।

मुझे मालूम हुआ है, आपको मुआवजेके तरीके और सम्पत्तिको क्षति पहुँचानेके कारण हर्जाना वसूल करनेके ढंगके खिलाफ शिकायत है?

जी हाँ, जहाँतक मजदूरोंसे वसूल करनेका सम्बन्ध है।