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उपद्रव जाँच समिति के सामने गवाही


क्या आपका यह भी कहना है कि यह रकम कभी सितम्बर या अक्तूबर महीने में मुहर्रमके समय वसूल की गई?

जी हाँ।

क्या यह सत्य है कि उस समय कामपर लगे जिन मजदूरोंसे उनकी आठ-आठ दिनोंकी मजदूरी जबरदस्ती वसूल की गई, उनमें से बहुत सारे लोग ऐसे भी थे जो अप्रैल महीने में अहमदाबादमें थे ही नहीं?

जी हाँ, ऐसे बिलकुल नये लोगोंसे रकम वसूल की गई जो गाँवोंसे बादमें यहाँ आये थे और जो अहमदाबाद नगरके निवासी नहीं थे, और जो लोग जब ये घटनाएँ घटीं उन दिनों अहमदाबाद नगरमें नहीं थे और जिन्होंने अहमदाबाद के बाहरसे आकर नया-नया ही मिलोंमें काम करना शुरू किया था।

और आप इस चीजको बहुत गलत मानते हैं कि उस समय हुई घटनाओंके सिलसिले में इन लोगोंकी मजदूरी छीनी जाये?

जी हाँ, और इतना ही नहीं, मैं साथ ही यह भी कहना चाहता हूँ और में यह बात आज भी सिद्ध कर सकता हूँ कि जब इस तरहका आन्दोलन चल रहा था, उस समय काफी लोग अहमदाबाद से बाहर चले गये थे और उन्होंने उसमें कोई हिस्सा नहीं लिया था। लेकिन उन्हें भी यह मुआवजा और हर्जाना देने को मजबूर किया गया है।

इसके सम्बन्धमें तो यह कहा जा सकता है कि इन अनुचित कार्रवाइयोंकी जिम्मेदारी सामूहिक रूपसे अहमदाबादमें रहनेवाले मिलसे सम्बन्धित लोगोंपर है, भले ही उनमें से कुछ लोग व्यक्तिगत रूपसे इसके लिए जिम्मेदार नहीं रहे हैं, लेकिन बादमें आनेवाले लोगोंके सम्बन्धमें तो किसी प्रकारकी सफाई देनेकी गुंजाइश ही नहीं है। यही है न आपकी शिकायत? मिल मजदूरोंके सम्बन्धमें आपकी दूसरी शिकायत क्या है?

दूसरी शिकायत यह है कि वसूल करने का तरीका बहुत ही बुरा था और जो रकम वसूल की गई वह भी बहुत भारी थी। मेरा खयाल है, यह जुर्माना प्रति व्यक्तिके हिसाब से लगाया गया था। मिल मजदूरोंके लिए सप्ताह भरकी मजदूरी दे पाना बहुत कठिन था। इसी तरहसे इसका हिसाब लगाया गया था बल्कि मुझे तो उसमें ऐसा कुछ दिखाई ही नहीं दिया कि हिसाब लगाया भी गया था।

आपकी बात मैं समझ नहीं पा रहा हूँ?

मैंने कहा, हर व्यक्तिसे उसकी सप्ताह-भरकी मजदूरी वसूल की गई। अब सुधार कर कह रहा हूँ कि प्रथम तो इसमें रकम नहीं निर्धारित की गई। यह अहमदाबाद नगरकी सारी आबादीको देखकर प्रति व्यक्तिके हिसाब से निर्धारित की गई थी। यह बात बहुत बुरी थी कि एक मजदूरको भी व्यक्तिगत रूपसे उतना ही देना पड़े जितना कि स्वयं मिल-मालिकको। क्या अब मेरी बात स्पष्ट हुई?

अगर आपकी बात मैंने ठीक समझी है तो आप इस रकम के प्रभाव क्षेत्रकी चर्चा कर रहे हैं, यानी कि मजदूरों और अपेक्षाकृत धनिक-वर्ग के लोगोंको एक-सी

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