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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रकमें देनी पड़ीं? क्या सचमुच बात ऐसी ही है? और इसके अतिरिक्त आयकर देनेवाले लोगोंसे वसूली हुई है?

जी हाँ, लेकिन मैं यह बात सुधार करके कह रहा हूँ। पहले तो मेरे मनपर जो छाप पड़ी वह वही थी। मैं इस विषयका अध्ययन करके इसपर अपनी राय देनेको तैयार हूँ, लेकिन समिति के सामने मैं इतना ही निवेदन करना चाहता था कि मजदूरों पर जो जुर्माना लगाया गया वह बहुत भारी था और जैसा कि आपने बताया है, यह जुर्माना वहाँ बहुत से ऐसे लोगोंसे ऐंठा गया है जो उस घटनाके अवसरपर वहाँ थे ही नहीं और जुर्माना वसूल करनेके लिए जो समय चुना गया वह बहुत ही अनुचित था। और यहाँ मैं यह कहना चाहता हूँ कि ऐसा समय चुननेके लिए अधिकारीगण दोषी नहीं हैं। उन्होंने यह समय कुछ इसलिए नहीं चुना कि यह मुहर्रमका अवसर था, यह तो एक संयोगकी बात थी‌। उनके लिए परिवर्तन करनेका अवसर नहीं रह गया था, लेकिन जैसा भी था, मजदूरोंके लिए यह समझ पाना बहुत मुश्किल था कि यह समय जान-बूझकर नहीं चुना गया है। इस प्रकार जो समय चुना गया वह गलत था और मजदूरोंसे उनकी हफ्ते भरकी मजदूरी लेना ठीक चीज नहीं थी।

क्या यह उनके लिए बहुत भारी था?

जी हाँ, मुझे तो ऐसा ही लगा।

क्या आपको, जिस तरह छूट दी गई, उसपर भी कोई आपत्ति है?

छूटके सम्बन्धमें तो मैं कुछ नहीं कहना चाहूँगा। इस सम्बन्धमें अधिकारियोंको अपनी विवेक-बुद्धिका प्रयोग करनेका जो अधिकार प्राप्त है, उसपर मैं कोई आपत्ति करने को तैयार नहीं हूँ। मैं यह भी नहीं कह सकता कि उसमें मुझे अन्यायके बहुत स्पष्ट उदाहरण देखने को नहीं मिले हैं। साथ ही अगर मैं इस बातकी ताईद न करूँ कि अहमदाबादके मौजूदा कलक्टरने, उनके सामने जो भी बात आई है, उसे किस तरह सुन्दरसे-सुन्दर ढंगसे निपटाया है तो यह शायद उचित नहीं होगा। उनसे जहाँ-कहीं निर्णयकी कोई भूल हुई है और मुझे वे चीजें भूल-जैसी लगी हैं, वहाँ अंशतः उसका स्पष्टीकरण कर दिया गया है, और इसलिए मजदूरोंपर लगाये गये इस करके बारेमें भी शिकायत करना मेरे लिए ठीक चीज नहीं है। लेकिन ऐसा जो हो गया वह मजदूरोंका दुर्भाग्य ही था। किन्तु यदि उसमें दोष-जैसी कोई चीज थी तो कलक्टर महोदयने अत्यन्त नम्रता और भद्रताके साथ यह दोष अपने ऊपर ले लिया। ये हैं उनके शब्द : "यह मेरा काम है; अतः मुझे ही इसकी सारी जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए।" लेकिन एक नागरिककी हैसियतसे में यहां यह कहने को मौजूद हूँ कि बहुत ही जिम्मेदार लोगोंसे निश्चित ढंगकी जानकारी प्राप्त करनेके बाद उन्होंने सोचा कि सिर्फ इसी तरीकेसे वे मजदूरोंसे वसूली कर सकते हैं और उनसे इतनी रकम वसूल करना ठीक होगा।

माननीय पंडित जगतनारायणके प्रश्नोंके उत्तरमें :

आपसे रौलट अधिनियम के सम्बन्धमें कुछ प्रश्न पूछे गये हैं। क्या मैं भी इस विषयमें एक-दो प्रश्न पूछ सकता हूँ? आपने कहा है कि सरकारके अराजकता