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उपद्रव जाँच समितिके सामने गवाही

फैलानेवाले अपराधोंको दबानेपर आपको कोई आपत्ति नहीं है। ऐसा करना सरकारका कर्त्तव्य है। फिर आपसे पूछा गया कि रौलट विधेयकोंके प्रति आपको क्या आपत्ति है और आपने उसके कुछ कारण बताये हैं। में अब यह जानना चाहूँगा कि क्या रौलट विधेयक सं॰ २ में किसी नये अपराधकी परिभाषा की ही नहीं गई है और वह एक विधि-मात्र है?

रौलट विधेयक संख्या १से एक नये अपराधकी परिभाषा होती थी। संख्या २ का सम्बन्ध अराजकतावादी अपराधोंसे है। मैंने लोगोंको ऐसा ही कहते सुना। दरअसल इन अराजकतावादी अपराधोंके लिए देशके साधारण कानूनके अधीन भी लोगोंको दण्डित किया जा सकता था और किया जाता था। यह तो केवल युद्धके ३ वर्षोंमें ही हुआ कि इन अपराधोंके लिए दण्ड देनेके लिए एक विशेष कानूनयानी भारत-रक्षा कानून पास किया गया. . .

और आपको लगा कि युद्धकालमें यद्यपि सारे देशने वफादारी दिखाई फिर भी यह कानून पास किया गया। युद्ध समाप्त हो जानेके बाद सामान्य कालमें भी यह विधि अपनाई जा सकती थी। तो कुल मिलाकर यही समझना चाहिए कि आपको आपत्ति इस बातपर नहीं थी कि अराजकतावादी अपराधोंके लिए सजा क्यों दी जाती है बल्कि इस बातपर थी कि इस कानून में न्यायके उन बुनियादी सिद्धान्तोंको तिलांजलि दे दी गई थी जिनका अनुगमन सारे सभ्य देश करते हैं।

दूसरे मुद्देके सम्बन्धमें आपने समितिके सामने कहा है, और आपके भाषणोंसे मुझे भी यही मालूम होता है कि पिछले ८-१० वर्षों में भी सरकार के पास सुरक्षाकी ऐसी ही व्यवस्थाएँ रही हैं।

अब विधेयक संख्या २ के बारेमें आपका क्या कहना है?

रौलट विधेयक में की गई सुरक्षात्मक व्यवस्थाओंको मैंने निश्चय ही, कोई छलपूर्ण ही नहीं, बल्कि खतरनाक फन्दे माना है। रौलट अधिनियममें जो सुरक्षात्मक व्यवस्थाएँ की गई हैं उनके बारेमें मेरे मनपर यही छाप पड़ी है। मैं सचमुच ऐसा महसूस करता हूँ कि यह कार्यपालिकाको और भी अधिक जिम्मेदार बना देता है, क्योंकि वह इस भ्रमपूर्ण विश्वासको लेकर चलता है कि वह इस [विधेयकके जरिय] प्रजाको सुरक्षा प्रदान कर रही है जब कि उसमें दरअसल ऐसी कोई सुरक्षात्मक व्यवस्था है ही नहीं। यही मेरा विचार है।

चूँकि आप सत्याग्रह आन्दोलनके मूल स्रोत हैं, इसलिए मैं आपसे एक-दो सवाल और पूछूँगा। मैं सत्याग्रह आन्दोलनके सिर्फ राजनीतिक पक्षको ही लूँगा। आप यह तो मानेंगे कि हर राजनीतिक आन्दोलनकी सफलता उस आन्दोलनके अनुगामियोंकी संख्यापर निर्भर है?

जी हाँ, हर राजनीतिक आन्दोलन की।

मैं यहाँ केवल सत्याग्रह आन्दोलनके राजनीतिक पक्षकी बात कर रहा हूँ।

जी हाँ, उसकी सफलता तो उसके अनुगामियोंकी संख्यापर जरूर निर्भर करती है।