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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


तो सत्याग्रह आन्दोलनके जिस हिस्सेका सम्बन्ध राजनीतिक मामलोंसे है, उस हिस्सेकी हदतक स्वाभाविक विचार तो यही होगा कि जहाँतक हो सके, उसके अधिकसे-अधिक अनुगामी बनाये जायें?

जी हाँ।

और काफी बड़ी संख्या में अनुगामी तैयार करनेके पीछे उद्देश्य यही है कि अगर किसी कामको एक-दो व्यक्ति नहीं बल्कि बहुत सारे लोग करते हैं तो सरकारका ध्यान उस ओर अवश्य आकृष्ट होगा?

यहाँ में आपसे सहमत नहीं हूँ।

उदाहरण के लिए में हड़तालकी बात लेता हूँ। मान लीजिए सिर्फ एक-दो व्यक्ति ही हड़ताल करते हैं तो क्या आप कहेंगे कि वह सफल हो जायेगी? या कोई वास्तविक परिणाम उत्पन्न करनेके लिए क्या बहुत सारे लोगोंका हड़ताल करना आवश्यक नहीं है?

मैं इस सिद्धान्तको स्वीकार नहीं करता। जब आप किसी ऐसे राजनीतिक आन्दोलनमें जुटे हुए हैं जो नैतिकताके कठोरतम सिद्धान्तोंपर आधारित है तो सत्कार्यका कुछ-न-कुछ प्रभाव होना निश्चित है—चाहे यह सत्कार्य कोई बहुत बड़ा आदमी करे या बहुत छोटा। यह मेरा सुचिन्तित विचार है।

इसपर मुझे कोई आपत्ति नहीं है। आपने यहाँ बताया है कि आपका विचार सब कुछ आध्यात्मिक शक्ति या आत्मबलके आधारपर हासिल करनेका था; यही मूल भावना थी। लेकिन किसी राजनीतिक लक्ष्यकी सिद्धिके लिए तो संख्याका बल प्राप्त होना आवश्यक है?

यदि आप मुझसे 'हाँ' कहने को ही कहते हैं तो कहूँगा कि किसी नैतिकतासे विच्छिन्न राजनीतिक आन्दोलनके साथ ऐसी बात है, लेकिन किसी ऐसे आन्दोलनके साथ नहीं जो प्रबल रूपसे नैतिक आन्दोलन है और जिसे राजनीतिके मंचपर इसलिए जाना है कि वहाँ गये बिना काम ही नहीं चल सकता।

जहाँतक इसके नैतिक पक्षका सम्बन्ध है, मेरा खयाल है, वह सत्यके अनुगमनमें निहित है। मान लीजिए बात ऐसी ही है तब आप इसको सफलताके लिए इसके अनुगामियोंकी जबरदस्त संख्यापर निर्भर करेंगे या नहीं? यदि एक व्यक्तिका आत्मबल किसी चीजको दो महीने में हासिल करता है तो १०,००० व्यक्तियोंका आत्मबल तो उसे कदाचित् १० दिनोंमें हासिल कर लेगा?

जी नहीं, किसी ऐसे बलका अनुमान लगानेके लिए आप गणितके नियमोंको लागू नहीं कर सकते। इस सवालका सम्बन्ध साधारण सिपाहियोंसे नहीं है कि कह दें, अगर एक व्यक्ति १० लोगोंको गोलियोंसे उड़ा सकता है तो उसी तरहके १० व्यक्ति १०० लोगोंको उड़ा देंगे।

जो भी हो, लेकिन १०० व्यक्ति अगर उनमें से प्रत्येक उसी एककी टक्करका हो, तो १० से अधिक लोगोंको तो गोलियोंसे उड़ा सकेंगे?

तो समझ लीजिए कि अगर वैसे ही समर्थ १० सत्याग्रही काम कर रहे हों तो निश्चय ही वे एक व्यक्तिकी तुलनामें अधिक कर दिखायेंगे।