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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


लेकिन यहाँ भी तो उसके पीछे संख्याका बल है ही। मैं यह तो समझता हूँ कि अगर कोई गांधी हड़ताल करेगा और जेल जायेगा तो हो सकता है, उससे सारा देश आन्दोलित हो उठेगा, लेकिन मान लीजिए कोई साधारण आदमी, ऐसा साधारण आदमी भी जो हिंसाका सहारा नहीं लेगा और सत्यका पालन करेगा, वह आदमी कहे कि वह कर नहीं देगा, और वह जेल चला जाये तो क्या आप कह सकते हैं कि वाइसराय, गवर्नर जनरल या राजाधिराजको इसकी सूचना तक मिलेगी?

मैं निश्चय ही भारतके ऐसे कई वाइसरायोंके नाम बता सकता हूँ जिन्हें अगर कोई ऐसा आदमी मिल जाता जिसे वे विशुद्ध रूपसे उसकी कठोरतम नैतिकता, ईमानदारी और सचाईके कारण मूल्यवान समझते तो उस आदमीको खोना न चाहते, और अगर वह आदमी हड़ताल करता तो वे यही चाहते कि भले ही लाखों व्यक्ति हड़ताल करें लेकिन उस एक व्यक्तिको हड़ताल करनी पड़े ऐसा कोई कारण न रहने दिया जाये।

आप यह तो मानेंगे कि ऐसा तो लाखोंमें शायद एक ही होगा जिसकी ओर वाइसराय या राजाधिराजका ध्यान आकृष्ट होगा?

मैं यह तो नहीं जानता, लेकिन यह अवश्य मानता हूँ कि अगर कोई आदमी पक्का नैतिक आचरण करनेवाला है और वह किसी ऐसे क्षेत्रमें काम कर रहा है, जिससे वाइसरायका सम्बन्ध है तो वह निश्चय ही उनके मनपर असर डालेगा वैसे ही जैसे लॉर्ड विलियम बेंटिकके शासन कालमें उनपर केशवचन्द्र सेनने असर डाला था।

आप फिर भारतके योग्यतम सपूतोंकी बात कर रहे हैं?

हाँ, लेकिन ऐसा किये बिना में रह भी नहीं सकता। हर नागरिककी यही इच्छा होनी चाहिए कि भारतमें ऐसे योग्य व्यक्ति अधिकाधिक उत्पन्न हों।

सर चि॰ ह॰ सीतलवाड : पण्डितजी यह भूल रहे हैं कि श्री गांधीने तीन दिनोंका उपवास करके ही मिल मालिकों को घुटने टेकनेको मजबूर कर दिया था।[१]

माफ कीजिएगा, मुझे इस बातसे बड़ी आत्मग्लानि होती है कि मैंने अपने उपवास द्वारा मिल मालिकोंको झुकनेपर मजबूर किया।

मान लीजिए, कोई ऐसा आदमी जो लोगोंको आपके जितना प्यारा हो या कोई अनसूयाबेन जैसा व्यक्ति फिर गिरफ्तार कर लिया जाये तो उस स्थितिके सम्बन्धमें क्या आप यह कह सकते हैं कि पिछले चार-पाँच महीनोंमें आपने अहमदाबाद और बम्बई के लोगोंको इतना योग्य बना दिया है कि अगर वे ऐसी गिरफ्तारीकी खबर सुन भी लेंगे तो कोई उथल-पुथल नहीं मचेगी?

जी नहीं, मचेगी और खूब मचेगी। और मेरा खयाल है अगर नहीं मचेगी तो इससे मुझे भी और अनसूयावेनको भी घोर निराशा होगी, लेकिन उस उथल-पुथलका स्वरूप बिलकुल भिन्न होगा।

  1. देखिए खण्ड १४, १४ २५२-५३।