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उपद्रव जाँच समितिके सामने गवाही

मैं अच्छा नहीं मानता और अगर उस सत्यका पालन करते हुए मुझे जेल जाना पड़ता है तो मैं नहीं समझता कि उसके लिए मुझे किसी नैतिक प्रशिक्षणकी जरूरत है। अगर किसी आदमीको अपनी अन्तरात्माके आदेशपर जेल जाना पड़ता है तो उसे किसी नैतिक प्रशिक्षणकी जरूरत क्योंकर होनी चाहिए? मेरा तो खयाल है कि जो ऐसा करता है वह सबसे अच्छा नागरिक है। क्या आप मेरे इस विचारसे सहमत हैं कि महज इस बातसे, कि अलग-अलग व्यक्ति अलग-अलग हिस्सोंमें अलग-अलग कानून तोड़कर जेल जाते हैं, सम्भवतः कोई भी सरकार परेशान नहीं हो सकती, बशर्ते कि यह आन्दोलन कोई सार्वजनिक आन्दोलन न हो?

हाँ, ऐसा तो है।

इससे कोई निराशाजनक स्थिति तो उत्पन्न नहीं होगी?

नहीं, निश्चय ही नहीं, लेकिन साथ ही मैं यह भी नहीं कहूँगा कि अगर वह कोई सार्वजनिक आन्दोलन है तो उससे निराशाजनक स्थिति उत्पन्न हो जायेगी।

मेरे कहने का मतलब यह कि इसमें मुझे कोई कठिनाई नहीं दिखाई देती। मैं समझता हूँ यह तो सबसे उच्च सिद्धान्त है जिसकी शिक्षा लोगोंको दी जा सकती है और अगर मैंने आपके भाषणोंको सही समझा हो तो मेरा खयाल है, सत्याग्रह आन्दोलनके पीछे एक बुनियादी कारण यह था कि आपने देखा कि वर्तमान भारत जिस एक बुराईसे बुरी तरह ग्रस्त है वह यह है कि अपनी दीर्घकालीन दासताके कारण यहाँके लोग अपने अधिकारोंके लिए खड़े नहीं हो सकते और गुलामोंकी तरह ऐसे कार्य करते हैं जो उनकी अन्तरात्माके आदेशके विरुद्ध हुआ करते हैं और मैंने ऐसा कहते सुना है कि आप चाहते हैं, वे अधिक निर्भीक हों और नैतिकताकी राहपर अधिक चलें। निर्भीक लोगों और जो लोग सिर्फ कानून तोड़नेका मजा लेनेके लिए कानून तोड़ते हैं उनके बीच आप एक अन्तर तो मानते हैं?

मेरा तो खयाल है, यह बात स्पष्ट ही है।

मेरा खयाल है यह आपका सिद्धान्त है?

कानूनकी सत्ता को बिलकुल अस्वीकार कर देने और अपने अधिकारोंका दावा करने में मैं बहुत बड़ा अन्तर मानता हूँ।

आपपर असंगतिका आरोप लगाया गया है और में वह आरोप आपके सामने रखूंगा तथा आपसे उसका स्पष्टीकरण चाहूँगा। ऐसा लगता है कि अधिकारियोंके सामने आपने यह वक्तव्य दिया कि आप मिल मजदूरोंको इस आन्दोलन में नहीं घसीटना चाहते थे?

जी हाँ, दिया तो था।

और साथ ही, अपने एक भाषण में आपने कहा है कि मिल मजदूरोंको आपकी सभाओंमें आना चाहिए, लेकिन उन्हें पहले मिल मालिकोंकी अनुमति ले लेनी चाहिए, और इससे यह निष्कर्ष निकाला गया है कि श्री गांधी एक ओर तो कहते हैं कि वे