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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मिल मजदूरोंको इस आन्दोलनमें नहीं घसीटना चाहते और दूसरी ओर वे उन्हें अपनी सभाओं में आने और सत्याग्रही बननेके लिए उकसाते हैं?

मैं उन अंशोंको देखना चाहूँगा। मुझे दोनों अवसर याद हैं। एक अवसरपर तो मैंने यह कहा था कि मैं नहीं चाहता कि मिल मजदूर इस आन्दोलनमें शामिल हों।

और दूसरे अवसरपर आपने कहा कि जबतक अनुमति न प्राप्त कर लें, वे सभाओं में न आयें?

बिलकुल सही, और दरअसल इन दोनों स्थितियोंके बीच मुझे कोई असंगति नहीं दिखाई देती क्योंकि मैं यह चाहता था कि मिल मजदूर हमारे पास रेलेमें न आयें; मैंने कहा एक भी मिल मजदूर न आये। सत्याग्रह-सभाके मन्त्रियोंको जो निर्देश दिये गये थे उनमें कहा गया था कि वे तबतक किसी भी मिल-मजदूरसे सत्याग्रहकी प्रतिज्ञा न करवायें जबतक कि खुद में या, इससे भी अच्छा हो, अनसूयाबेन उनसे मिल न लें। अनसूयाबेनका मिलना ज्यादा अच्छा इसलिए होगा कि उन्हें यह मालूम होगा और वे इस बातकी गारंटी देंगी कि वह आदमी स्थिति को समझता है और वह ऐसा कर सकेगा।

फिर एक दूसरी बात है आपका गवाही देकर अधिकारियोंकी सहायता करनेके सम्बन्धमें। आपको आपत्ति नाम बतानेपर ही तो है?

जी हाँ, इसी बातपर है।

और प्रमाण जुटानेमें अधिकारियोंकी सहायता करनेमें आपको कोई और आपत्ति नहीं थी। दरअसल में यहाँ देखता हूँ कि आप जेलमें भी कुछ लोगोंसे मिलने गये थे?

जी हाँ, गया था।

और आपने उनसे अपना अपराध स्वीकार कर लेनेको कहा था?

इतना ही नहीं, अगर दो दुर्घटनाएँ न हो गई होतीं तो मैं उन्हें मनानेमें लगभग सफल हो गया था। जिन लोगोंने तार काटे थे, उनमें से तो प्रत्येक से मैं उसका अपराध स्वीकार करवा लेता। लेकिन मैं तो उनसे श्री केरके साथ मिला था। उस समय रातके ११ बजे थे और उनका सहायक भी वहाँ उपस्थित था। लोगोंने कहा अगर उन्हें पहरेमें या किसी अन्य रूपमें लोगोंके बीच भेज दिया जाये तो वे असली अपराधियोंको पकड़वा देंगे और अगर स्वयं उन लोगों में से कुछने यह काम किया होगा तो वे उसे स्वीकार कर लेंगे।

और इसलिए आपने यह सुझाव रखा कि उन्हें सब बातें साफ-साफ बता देनी चाहिए और अधिकारियोंकी सहायता करनी चाहिए?

ऐसा करनेकी कोशिशमें में इससे भी आगे गया। मैं यह काम समाप्त करनेके लिए नडियाद जाना चाहता था, लेकिन अधिकारियोंकी सहायता करनेसे सम्बन्धित उतने ही जरूरी एक दूसरे काममें फँस गया और मुझे बम्बईमें ही रह जाना पड़ा। इस बीच इधर कुछ कानूनी कार्रवाइयाँ की गई और तब मैंने फिर तीसरी बार भी कोशिश की, लेकिन उसमें उन लोगोंपर कानूनके जिन खण्डोंके अधीन मुकदमा चलाया जा रहा था उनके कारण, वास्तवमें कोई सफलता नहीं मिल पाई। लोग इतने डर