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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

विपरीत इन तथ्योंके आधारपर में ऐसी रिपोर्ट तैयार करता जो रौलट रिपोर्टसे बिलकुल विपरीत होती। मेरे मनपर उसकी यही छाप पड़ी।

लेकिन आप इस बातसे तो इनकार नहीं करते कि जहाँतक सरकारको प्राप्त जानकारीका सवाल था, यह सच है कि देशमें गम्भीर ढंगके अपराध किये जा रहे थे?

उससे अधिक गम्भीर नहीं जितने गम्भीर अपराध दूसरे देशों में किये जाते हैं और निश्चय ही भारत में कोई गम्भीर अपराध नहीं किया जा रहा है। विशेष रूपसे अराजकतावादी कार्रवाई बंगालतक ही सीमित रही है। अन्यत्र तो ऐसी कार्रवाईका कोई जोर देखने में नहीं आया, और रही बंगालकी बात सो आप बंगालको ही तो भारत नहीं मान सकते।

तो अराजकता और अपराधवृत्ति बंगालमें जोरोंसे फैली हुई थी?

मैं इसके महत्त्वको कभी घटाकर नहीं आँकूँगा। ये चीजें वास्तवमें चल रही थीं और इतनी गम्भीर भी थीं कि सरकारको उनके लिए कड़े उपाय करनेकी जरूरत थी। मैं इस बात से कतई इनकार नहीं करता। लेकिन जिस समय रौलट कमेटीने अपनी रिपोर्ट तैयार की और गवाहियाँ लीं उस समय में यह कहनेकी धृष्टता करूँगा कि कमेटीको जो सामग्री उपलब्ध थी, उससे जो निष्कर्ष निकाले गये हैं वे निष्कर्ष नहीं निकलते। हो सकता है मैं गलत होऊँ, लेकिन रौलट कमेटीकी रिपोर्टमें एक बहुत गम्भीर भूल है कि जो शहादतें ली गईं वे प्रायः गुप्त रूपसे ली गई और वे थीं भी सरकारी।

अब दलील के लिए अगर यह मान लिया जाये कि रौलट कमेटी द्वारा संकलित तथ्योंके आधारपर कमेटीने जो रिपोर्ट तैयार की, वह ठीक नहीं थी, तो क्या आप यह कहते हैं कि बंगालमें स्थिति ऐसी थी कि ऐसे सख्त कदम उठाना जरूरी था और रिपोर्टकी बात छोड़ भी दें तो क्या आप यह स्वीकार करते हैं कि ऐसे सख्त कदम उठाना आवश्यक था?

हाँ, यह मैं स्वीकार करता हूँ।

तो आपके विचारसे सरकारको परिस्थितिका सामना करनेके लिए कौन-से कदम उठाने चाहिए थे?

लेकिन सरकारने वास्तव में जो कदम उठाये हैं उनसे में पूरी तरह सहमत नहीं हूँ। मैं तो सिर्फ यह कह रहा हूँ कि इस तरहके अपराधोंका मूलोच्छेद करनेके लिए सरकारको सख्त कदम उठानेका अधिकार है, बल्कि यह उसका कर्त्तव्य है। इस प्रश्नके उत्तरमें कि सरकारको कौनसे कदम उठाने चाहिए, में सिर्फ इतना ही कह सकता हूँ कि रौलट अधिनियम बनाने जैसे कदम नहीं उठाने चाहिए। वैसे तो सचाई यह है कि सरकारको कौनसे कदम उठाने चाहिए, यह सुझानेका अधिकार मुझे नहीं है, लेकिन अगर मुझे यह बताना हो कि सरकारको कौनसे कदम उठाने चाहिए तो मैं जो कुछ भी बताऊँगा वह सुधार करनेके ढंगकी चीज होगी, लोगोंका दमन करनेके ढंगकी चीज नहीं होगी। लेकिन सरकारके सारे कदम दमनकारी ढंगके थे।