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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

और दूसरे नेताओंको, जिन्हें सविनय अवज्ञासे भय है या जो उसे नापसन्द करते हैं, अपनी सारी ताकत लगाकर इष्ट परिणामके लिए प्रयत्न करना चाहिए।

हृदयसे आपका,

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजी से ]

यंग इंडिया, ९-८-१९१९

१२. भाषण : 'डेकन सभा', पूनाकी बैठकमें[१]

शुक्रवार, अगस्त ८, १९१९

तुमुल हर्षध्वनिके बीच, श्री गांधीने अपने स्थानसे उठकर निम्नलिखित प्रस्ताव प्रस्तुत किये :

'डेकन सभा' के तत्त्वावधान में आयोजित पूनाके नागरिकोंकी यह सार्वजनिक सभा दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय प्रवासियोंके प्रति, जो बुनियादी नागरिक अधिकारोंके लिए संघर्ष कर रहे हैं, गहरी सहानुभूति प्रदर्शित करती है तथा उनको वीरतापूर्वक और दृढ़ताके साथ यह संघर्ष चलाने के लिए साधुवाद देती है और मातृभूमिके हार्दिक समर्थनका उनको विश्वास दिलाती है। यह सभा भारत सरकारको भी भारतीय मामलेकी पैरवी करनेके लिए धन्यवाद देना चाहती है और पूर्ण रूपसे विश्वास करती है कि जबतक हालमें पास हुए कानूनको वापस लेकर और निवास, व्यवसाय तथा स्वामित्व सम्बन्धी पूरे-पूरे अधिकार बहाल करके दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंके प्रति न्याय नहीं किया जाता, तबतक भारत सरकार तथा सम्राट्की सरकार चैनसे न बैठेंगी।

श्री गांधी हिन्दीमें बोले।[२] उन्होंने श्रोताओंसे कहा : हालमें पास किये गये अन्याय-पूर्ण कानूनके जरिये दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके हितोंपर कैसा कुठाराघात किया गया है, इसका पूरा-पूरा अनुमान करना आप लोगोंके लिए कठिन है। इस विषयपर आप लोगोंको गम्भीरतापूर्वक विचार करना चाहिए। अपने मुसीबतजदा देशवासियोंकी हर तरहसे मदद करना आप लोगोंका कर्त्तव्य है। श्री गांधीने कहा कि मेरे पास बम्बईसे एक तार आया है, जिसमें मेरे नाम सर जॉर्ज बा‌‌न्‌र्जके एक पत्रका उल्लेख है। सर जार्ज बा‌‌न्‌र्जने उसमें यह वचन दिया है कि भारत सरकार मेरे प्रत्येक सुझावपर ध्यान- पूर्वक विचार करेगी और यह भी कहा गया है कि भारत सरकारने इस सम्बन्धमें

  1. पूनाकी 'डेकन सभा' ने ट्रान्सवालके कानूनोंके प्रति विरोध प्रकट करनेके लिए पूनाके नागरिकोंकी एक सभा किर्लोस्कर थियेटर में आयोजित की। सभा अध्यक्ष सर हुरमसजी वाडियाकी अनुपस्थितिमें, अवकाश प्राप्त डिप्टी कलक्टर तथा सभाके उपाध्यक्ष राव बहादुर खोपकरने अध्यक्षता की थी।
  2. भाषणकी हिन्दी रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है।