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उपद्रव जाँच समितिके सामने गवाही

वही अपने मूलमें गलत है। साधारण मामलोंमें तो में इस चीजको समझ सकता हूँ, लेकिन जब इस बातका सम्बन्ध सारे समाजसे हो तब तो नहीं समझ सकता, और वास्तव में इसका सम्बन्ध सारे समाजसे ही है। इसके अन्तर्गत किसी भी व्यक्तिसे कहा जा सकता है कि वह आकर अपनी जमानत जमा करे।

आप जानते हैं कि युद्धके दिनोंमें भारत-रक्षा कानून के अन्तर्गत सुरक्षात्मक उपायके रूपमें बहुत से लोगों को नजरबन्द कर लिया गया था। और सन्धिपत्रपर हस्ताक्षर हो जाने भरसे ही उसके छः महीने के भीतर, मेरा खयाल है, उन सभीको अपने-आप मुक्त हो जाना है। तब निश्चय ही यह प्रश्न उठेगा कि सरकार खतरनाक ढंगके लोगोंके साथ कैसे पेश आये। क्या आप यह पसन्द नहीं करेंगे कि सरकारके हाथमें कोई ऐसा अस्त्र रहना चाहिए जिससे वह उस परिस्थितिका, जो किसी भी क्षण उत्पन्न हो सकती है, सामना कर सके?

मैं आदरपूर्वक कहूँगा कि सरकारके हाथमें यों भी ऐसा अस्त्र है, वाइसराय को जो अध्यादेश जारी करनेके अधिकार दिये गये हैं, उनके रूपमें पहलेसे ही उसे यह अस्त्र प्राप्त है। मेरी नम्र सम्मतिमें भारत-रक्षा कानूनको शान्ति-कालमें रौलट अधिनियम—जैसा कोई कानून बनाने के आधारके रूपमें इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यह मुख्यतः एक युद्धकालीन कानून था, और जिस चीजको आप युद्ध-कालमें बरदाश्त कर सकते हैं, उसे शान्ति कालमें बरदाश्त नहीं कर सकते।

लेकिन यह कानून तो समर्थनकारी कानून है और सो भी सिर्फ तीन वर्षकी अवधिके लिए है?

मैं यह समझता हूँ, लेकिन एक पूरी जातिको तीन सालके लिए भी इस रूप से लांछित रखा जाये, यह बात सोचकर मेरा मन असन्तुलित हो उठता है।

अब में यह जानना चाहता हूँ कि सत्याग्रह आन्दोलन प्रारम्भ करनेका उद्देश्य क्या था? क्या यह देशमें अच्छा राजनीतिक वातावरण तैयार करनेके उद्देश्यसे छेड़ा गया था, या जो कानून देशको पसन्द नहीं है उस अनैतिक कानूनका विरोध करनेके लिए छेड़ा गया था?

इसकी जरूरत तो इस कानूनको रद करवानेकी तीव्र इच्छाके कारण ही पड़ी। अगर आपको आवेदन निवेदन आदि साधारण तरीकोंसे राहत नहीं मिल पाती तो आपको यह तो देखना ही है कि क्या इसका कोई असाधारण तरीका भी है—असाधारण लेकिन फिर भी असंवैधानिक नहीं। और इस तरह देखनेपर मैंने पाया कि इस शरारत और बुराईका प्रतिकार करनेका केवल यही रास्ता है।

क्या यह आप संवैधानिक तरीकोंसे नहीं कर सकते थे?

मुझे तो इससे कम[१] कारगर कोई दूसरा संवैधानिक तरीका दिखाई नहीं देता। मेरे एक बहुत घनिष्ठ मित्रने मुझसे कहा है कि यह आन्दोलन छेड़नेसे पूर्व मुझे कॉमन्स सभाके नाम कमसे कम एक प्रार्थनापत्र भेजकर उसके उत्तरकी प्रतीक्षा तो कर लेनी

  1. संभवतः यहाँ "अधिक" होना चाहिए।