अध्यक्ष : उस मामले में कोई व्यक्ति हताहत भी हुआ या नहीं यह मेरे सुननेमें नहीं आया?
उस मामले में हताहत होने की बात नहीं कही गई है। प्रदर्शनके दौरान एक-दो व्यक्ति [शायद] कुचल गये, लेकिन यदि [भीड़पर] घोड़े दौड़ाये गये हों तो ऐसा होना स्वाभाविक ही है। मेरा खयाल है कि कोई भी व्यक्ति हत नहीं हुआ और कुचले गये लोग भी, जहाँतक मैं जानता हूँ, कोई गम्भीर रूपसे घायल नहीं हुए थे। जब सारी घटना हो चुकी थी तब में घुड़सवार दस्ता भेजने के प्रति विरोध प्रकट करनेके लिए श्री ग्रिफिथके पास गया। और मैंने जो "घुड़सवार दस्ता"—शब्दों का प्रयोग किया, इसपर उन्होंने आपत्ति भी की, लेकिन चूंकि मैं कोई सेनाका आदमी नहीं था, इसलिए यह नहीं जानता था कि वह सचमुच क्या था।
- गुजरात सभा, अहमदाबाद के कानूनी सलाहकार श्री जीवनलाल वी॰ देसाईके प्रश्नोंके उत्तरमें ::
महात्माजी, आपने बम्बई ८ अप्रैलको छोड़ी?
हाँ, उस दिन शामको।
आपको आदेश कब दिया गया?
९ की शामको, पलवल और मथुराके बीच। यह पहला आदेश था।
मेरा खयाल है, आदेशमें आपको पंजाब या दिल्ली में प्रवेश करनेसे मना किया गया था?
मैं भूल रहा हूँ कि किस प्रदेशके बारेमें मनाही थी, लेकिन मेरा खयाल है, वह दिल्लीके बारेमें थी।
उसके बाद अगले स्टेशनपर आपको एक दूसरा आदेश दिया गया?
हाँ, अगले स्टेशनपर दो और आदेश दिये गये।
लगभग किस समय?
शायद साढ़े सात या ८ या कदाचित् ९ बजेके बीच कभी।
फिर आपने एक सन्देश लिखाया?
हाँ, पलवल पहुँचनेसे पहले यह जाननेके बाद कि में पलवल में गिरफ्तार कर लिया जाऊँगा।
और जिन सज्जनने[१] यह सन्देश लिखा वे कला और कानून, दोनों ही विषयोंके स्नातक हैं?
हाँ।
आपने जो सन्देश लिखाया उसे लिखनेमें उनसे कोई गलती नहीं हुई?
नहीं, कोई गलती नहीं हुई, क्योंकि मैंने स्वयं वह लिखा हुआ सन्देश पढ़ लिया।
- ↑ तात्पर्य महादेव देसाईसे है।