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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


आपने अहमदाबादकी घटनाओंके बारेमें कब सुना, १२ की सुबहको?

हाँ, मेरा खयाल है पहले-पहल १२की सुबह ही एक मित्रने आकर बताया कि वहाँ कुछ उपद्रव हुआ है। नहीं-नहीं, अब याद आ रहा है, मुझे स्वयं श्री ग्रिफिथसे ही कुछ मालूम हुआ, क्योंकि वे मुझसे इस परिस्थितिपर विचार कर रहे थे और उन्होंने कहा, "आपको मालूम है कि देशमें क्या-कुछ हो रहा है?" मैंने कहा, "नहीं।" उन्होंने बताया कि अहमदाबादमें कुछ गड़बड़ी हुई है, लेकिन तार कट जानेके कारण वे मुझे उसके सम्बन्धमें तफसीलसे कुछ नहीं बता सके। लेकिन उन्होंने मुझे इसका आभास अवश्य दे दिया था कि अहमदाबाद में कोई बहुत गलत बात हो गई है।

आपने जैसे ही सुना कि वहाँ आपकी जरूरत है, आप पहुँच गये?

जी हाँ, जो गाड़ी सबसे पहले मिली उसीसे।

क्या स्टेशनपर आपसे मिलनेके लिए कुछ नागरिक आये थे?

मैं तो नहीं समझता, वहाँ कोई भाई आये थे। हाँ, श्री बॉयड[१] तथा कुछ अन्य अधिकारी, जिनके नाम में नहीं जानता, अवश्य थे।

फिर स्टेशनसे आप श्री अम्बालाल के घर गये?

सीधे कमिश्नर साहबके यहाँ गया।

और मेरा खयाल है कि आप उनके साथ कोई दो घंटे रहे।

हाँ, शायद।

और श्री प्रैटके यहाँसे आप अम्बालालके घर गये?

हाँ, मेरा खयाल है कुछ मिनटके लिए में उनके यहाँ गया था।

जब आप वहाँसे लौट रहे थे, उस समय क्या आपके साथ सैनिक अधिकारी भी थे?

हाँ, लेकिन सिर्फ मेरी सुरक्षाके लिए।

इसलिए कि वहाँ सैनिक कानून लागू था?

हाँ, इस खयालसे कि पहरेदार लोग मुझे रोक सकते थे।

आपने १३ तारीखको सब-कुछ शान्त-व्यवस्थित पाया?

हाँ।

उस दिन आप एक सभा करना चाहते थे?

हाँ।

और आपने श्री वल्लभभाई पटेल तथा अन्य लोगोंसे, अगर सम्भव हो तो, एक सभाका आयोजन करने को कहा था?

हाँ।

लेकिन सैनिक कानून लागू होनेके कारण उसका आयोजन नहीं किया जा सका?

केवल इसी कारण नहीं। दूसरी कठिनाइयाँ भी थीं। कहा गया कि कुछ ऐसी कठिनाइयाँ हैं जिनके कारण शायद हम ज्यादा लोगोंको इकट्ठा नहीं कर सकेंगे, और ज्यादा लोगोंके न रहनेपर मैं [जनतातक अपना सन्देश नहीं पहुँचा सकूँगा।

  1. आर॰ आर॰ बॉषड, अहमदाबादके पुलिस सुपरिटेंडेंट।