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उपद्रव जाँच समिति के सामने गवाही


तो इसलिए आपने उनसे दूसरे दिन सभा की व्यवस्था करनेको कहा?

हाँ।

और तब आप यह नहीं जानते थे कि सैनिक कानून वापस ले लिया जायेगा?

बेशक, में नहीं जानता था।

१३ तारीखको आपने सर्वश्री वल्लभभाई पटेल तथा अन्य व्यक्तियोंसे कहा कि वे लोगोंको आश्रम जानेका एक विशेष रास्ता दिखा दें ताकि वे फौजी सिपाहियोंसे बचकर बगलकी गलियोंसे वहाँ पहुँच सकें?

हाँ।

उस दिन आप किस समय आश्रम गये?

मेरा खयाल है १३ तारीखको मैं २ बजे आश्रम पहुँच गया होऊँगा।

फिर अन्य गैर-सरकारी व्यक्तियोंके साथ आप श्री वल्लभभाई पटेल तथा दूसरे लोगोंसे मिले?

हाँ।

सभा जाने के बाद श्री वल्लभभाई पटेलसे पूर्व आप किसी औरसे भी मिले?

नहीं।

आपने अपना भाषण कब दिया?

रात में किसी समय।

आश्रम जानेके बाद क्या बहुत-से लोग आपसे मिलने आये?

नहीं, १३ तारीखको तो नहीं।

मेरा खयाल है, आपने १३ तारीखके भाषण में जो कुछ कहा वह, कमोबेश आपके मनपर इन बातोंकी जो छाप पड़ी थी, उसीकी अभिव्यक्ति थी?

मेरा खयाल है, उस भाषण में इस बात को इसी रूपमें पेश किया गया है।

यह जानकर कि कहीं कुछ तार तोड़ दिये गये हैं तथा मकानात जला दिये गये हैं, आपके मनपर यह छाप पड़ी कि इसके पीछे किसी तरहका एक योजनाबद्ध प्रयत्न था?

हाँ।

क्या दंगाइयों में से किसीने आपके सामने विशेषरूपसे कुछ कहा?

मैं यह तो नहीं कहूँगा कि १३ तारीखको दंगाइयोंमें से किसीने मेरे सामने ऐसा कुछ कहा, लेकिन मैंने जो विचार व्यक्त किया, उस समय लोगोंने उसका कुछ समर्थन—जैसा अवश्य किया था। और मैंने अपने-आपसे कहा कि "तो लगता है, यह इस तरह हुआ है।" और जब मैंने इस विषयपर वहाँ आये मित्रोंसे बातचीत की तो उन्होंने मेरी मान्यताका प्रतिवाद करनेके बजाय कहा, "हाँ, ऐसा ही है।"

यह मनपर पड़ी छांपकी बात थी या जानकारी की?

मैंने उनसे जिरह नहीं की जिससे जान सकता कि वे जो कुछ बोल रहे हैं वह उनके मनपर पड़ी छापसे सम्बद्ध है या उन्हें उस सबकी जानकारी है। मैं यह तो नहीं कह सकूँगा, लेकिन निश्चय ही उन्होंने मेरे विचारोंका समर्थन किया।