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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


लेकिन हो सकता है, यह सिर्फ मनपर पड़ी छापकी बात ही रही हो?

हाँ, हो सकता है।

१४ की सुबह जिला अदालत भवनमें श्री प्रैट, श्री चैटफील्ड और कमांडिंग अफसरके साथ आपकी एक प्रकारकी मन्त्रणा हुई। और उसमें यह तय किया गया कि यह सैनिक कानून नामकी चीज वापस ले ली जाये?

मुझसे कहा गया कि वह वापस ले लिया जायेगा।

और इसीके परिणामस्वरूप दोपहर बादकी आश्रमवाली सभामें श्रोतागण खासी संख्या में जुट पाये?

जी नहीं, इसलिए नहीं कि आदेश वापस ले लिये गये।

आपने यह देखा कि ६ तारीखको जो भीड़ आपके आश्रमको जा रही थी वह काफी व्यवस्थित थी?

मेरा तो खयाल है कि वह बिलकुल व्यवस्थित थी, और में समझता हूँ, वहाँ मैंने रेवरेंड गिलिस्पीको भी देखा?

हाँ, और आपके भाषणको श्री वल्लभभाई पटेलने पढ़ा, क्योंकि आपका स्वास्थ्य अच्छा नहीं था?

उस समय मेरी आवाज श्रोताओंतक नहीं पहुँच सकती थी।

आप श्री चैटफील्डसे किस समय मिले? सभाके पहले या बादमें?

१३ तारीखको उससे पहले और १४को ९ बजे सुबह।

और आपने श्री गाइडरसे कब मुलाकात की?

उन्होंने सभाके बाद किसी दिन मेरे यहाँ पधारकर मुझे अनुग्रहीत किया।

उस मुलाकात के दौरान आपकी बातचीत बिलकुल स्पष्ट और प्रमाणिक ढंगपर हुई। आपकी ओरसे कहीं कोई दुराव-छिपाव तो नहीं था?

निश्चय ही, न तो मेरी ओरसे और न उनकी ओरसे ही कोई दुराव-छिपाव था।

लेकिन इस मुलाकातमें जो कुछ हुआ उसकी रिपोर्टमें तो श्री गाइडर कहते हैं कि "उनकी बातोंसे मुझे ऐसा लगा कि यद्यपि वे अपने लाभके लिए, यानी अपने अनुगामियोंकी संख्या बढ़ाने के उद्देश्यसे, दंगाइयोंकी भर्त्सना करने को तैयार थे, लेकिन अधिकारियोंके सामने उनकी भर्त्सना करनेका उनका कोई इरादा नहीं था।"

अब इस आधारपर तो में इतना ही कह सकता हूँ कि श्री गाइडरने मेरे साथ बड़ा अन्याय किया है (भले ही इरादतन न किया हो)।

अध्यक्ष : आपका मतलब है, आपके सत्याग्रह सिद्धान्त के साथ?

जी हाँ।

श्री देसाई : आपने उनसे कहा कि भीड़में कुछ ऐसे लोग थे जो उन सबको सचमुच उसमें शामिल होनेको आमन्त्रित कर रहे थे?

क्या कर रहे थे?

वहाँ उन नेताओं में से कुछ लोग मौजूद थे जिन्होंने भीड़को दंगे के लिए उकसाया था।