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पत्र : अखबारोंको


तीसरे, इस हुक्मको न माननेवाले किसी भी व्यक्तिको अपराधी पाये जानेपर अदालत १,५०० रु॰ जुर्माना या ज्यादासे ज्यादा छः महीनेकी साधारण अथवा सपरिश्रम कैदकी सजा अथवा जुर्माना तथा सजा दोनों एक साथ दे सकेगी। ऐसी सजासे गवर्नरके अधिकारपर ऐसा प्रभाव नहीं पड़ेगा कि वह उसी व्यक्ति के विरुद्ध पिछले खण्डके अन्तर्गत और हुक्म न दे सके।
विधान परिषद्को बैठक १९ जनवरीको होगी। इस अध्यादेशका राजनीतिक दुरुपयोग न हो सके, ऐसी रोक-थामका इस अध्यादेशमें सर्वथा अभाव है। आर्थिक आयोगके सामने प्रस्तुत सबूतोंसे भारतीयोंके विरुद्ध नैतिक भ्रष्टाचारके आरोपकी पुष्टि नहीं होती। भारतीय चरित्रकी निर्दोषता हमने सिद्ध तो कर दी है परन्तु [यहाँके] यूरोपीय लोग काफी गम्भीरतापूर्वक दक्षिण आफ्रिकी नीति अपनानेपर तुले हुए हैं?

इस तारपर किसी टिप्पणीकी जरूरत नहीं है। पूर्वी आफ्रिकामें प्रवासी भारतीयोंके विरुद्ध एक मिला-जुला और संगठित अभियान चलाया जा रहा है। मेरी नम्र राय में यह प्रस्तावित अध्यादेश नितान्त शरारतपूर्ण है और प्रत्येक भारतीयको उस सरकारी तन्त्रकी कृपापर छोड़ देता है जो भारतीयोंके विरुद्ध आन्दोलनकारी यूरोपीयोंके मातहत है। यह आन्दोलन कितना शरारतपूर्ण और सिद्धान्तविहीन है, यह बात भारतीय प्रवासियोंके खिलाफ लगाये गये नैतिक भ्रष्टाचारके नितान्त मिथ्या आरोपोंसे ही स्पष्ट हो जाती है। भारतीयोंको बिलकुल गुलाम बनानेकी दिशामें इस प्रस्तावित अध्यादेशको में पहला निश्चित कानूनी कदम मानता हूँ। भारतीयोंने हाल ही में जानेवाले यूरोपीय प्रवासियोंके साथ बराबरीका दर्जा मांगनेका दुस्साहस किया है। उन्होंने वाणिज्यमें अपने प्रतिद्वन्द्वी यूरोपीयों द्वारा अपनाये गये दर्पपूर्ण रवैये के विरुद्ध आपत्ति उठानेका साहस किया है। अतएव यूरोपीय प्रतिद्वन्द्वियोंने प्रशासनको अपने काबू कर लिया है। पूर्वी आफ्रिकाकी जैसी स्थिति है उसमें किसी वैसे समझौते की गुंजाइश नहीं है जैसा कि दक्षिण आफ्रिकामें हो सकना सम्भव था, और शायद होना जरूरी भी था। दक्षिण आफ्रिकाकी परिस्थिति पूर्वी आफ्रिकी परिस्थितिसे सर्वथा भिन्न थी। पूर्वी आफ्रिकामें भारतीय अन्य सब प्रकारके प्रत्येक प्रवासीके साथ बराबरीकी शर्तोंपर रहनेके अपने स्वाभाविक अधिकारका दावा करते ही हैं, इससे भी आगे, वे अन्य प्रवासियोंके मुकाबले प्राथमिकता भी चाहते हैं। में आशा करता हूँ कि उनके इस दावेका भारतमें सभी समर्थन करेंगे, ताकि उनका पूरा राजनीतिक और नागरिक दर्जा सुरक्षित रहे। में यह भी आशा करता हूँ कि भारत सरकार अपने संदिग्ध अधिकारका पूरी तरह प्रयोग करेगी और पूर्वी आफ्रिकामें बसे ब्रिटिश भारतीयोंके संरक्षणका कर्त्तव्य निभायेगी।

आपका,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १२-१-१९२०
१६-३१