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२४६. कांग्रेस
जलियाँवाले बागकी यात्रा

पिछली बार कांग्रेस [का अधिवेशन] अमृतसरमें हुआ और इस कारण यह [शहर] तीर्थस्थान ही बन गया था। अमृतसर कांग्रेस में जो हजारों लोग आये थे, उनका पहला काम था जलियाँवाले बागके दर्शन करना। सैकड़ों लोग मुझसे मिलने आते। मैं उनसे पूछता और वे जवाब देते कि "हम लोग आते ही जलियाँवाले बागके दर्शन करने गये थे।" कितने ही वहाँकी धरतीकी मिट्टीको विभूतिकी तरह माथेपर लगाते, कितने ही निर्दोष मनुष्योंके रक्त से अभिषिक्त उस पवित्र मिट्टीमें से थोड़ी-सी गाँठ बाँध लेते। इस तरह पूर्व, पश्चिम और दक्षिणसे आये हुए सभी लोग अपने भाइयोंके बलिदानका स्मरण कर धन्य हुए। उन्होंने ऐसा माना कि उनका कांग्रेसमें आना सफल हुआ।

अमृतसरमें दिसम्बर महीने के अधिकांश भागमें वर्षा होती है। अमृतसर नीची जगहमें है इसलिए वर्षा होनेपर वहाँ पानी भर जाता है। कांग्रेसके दिनों में बरसात शुरू हो जानेके कारण बड़ी अड़चन हुई।

अमृतसरवासियोंकी उदारता

कांग्रेसका पण्डाल और ठहरनेके तम्बू एचीसन पार्क में थे। किन्तु नीची जगह होनेके कारण वहाँ भी पानी भर गया और मेहमानोंकी समुचित व्यवस्था करनेमें बहुत दिक्कत पैदा हो गई। किन्तु अमृतसरवासियोंने तो सभी मेहमानोंको अपना ही माना। इसके लिए हिन्दीमें 'अपनाया' शब्द प्रचलित है, जो एक सुन्दर शब्द है। यदि इसे गुजराती में कहा जाये तो कहेंगे कि उन्होंने मेहमानोंको 'अपना कर लिया।' जो भी किसीको अपने घर ठहरा सकता था, वह उसे ले गया और उसका स्वागत-सत्कार किया। अतः कुछ ऐसा लगा मानों क्या प्रतिनिधि और क्या दर्शक सभी परस्पर सहानुभूतिकी भावना से ओतप्रोत वहाँ आये हुए हैं। यह कोई ऊपरी दिखावा नहीं था बल्कि हार्दिक प्रेम था। अमृतसरवासियोंकी उदारताका कोई पार नहीं था।

मण्डप और तम्बुओंका खर्च

यह तो हुआ चित्रका सुन्दर पहलू। उसका दूसरा पहलू यह था कि मण्डप और तम्बुओंपर २,२०० रुपयेके लगभग खर्च हुए। यह खर्च जरूरी नहीं था और इतना खर्च करके जनताको कुछ अधिक दिया जा सका हो यह में नहीं मानता। मैं तो मानता हूँ कि बिना मण्डपके भी काम चल सकता था। मण्डपके बदले यदि खुले मैदानमें अधिवेशन किया जाये तो अधिक लोग आ सकते हैं और खर्च भी कम होगा। मण्डप धूपसे बचाता है; किन्तु दिसम्बर महीनेकी धूप तेज नहीं होती। फिर धूपसे बचनेका खर्च मण्डपकी अपेक्षा कम ही होता। वर्षाकी जो बात मैंने कही उससे भी मण्डप बनानेकी बातका समर्थन नहीं होता क्योंकि वर्षाके कारण कांग्रेसका अधिवेशन