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कांग्रेस

होता। किन्तु विशेष कारणवश शासकोंको उनके पद से हटाने की माँग करनेका हमें अधिकार है; फिर भी मैं ऐसा मानता हूँ कि उपर्युक्त दोनों प्रस्ताव समय से पहले ही पास हुए हैं। किन्तु ये प्रस्ताव पास हो चुके हैं अतः इस सम्बन्धमें अधिक टीका-टिप्पणी करनेकी जरूरत नहीं। परन्तु लॉर्ड चेम्सफोर्डको अपदस्थ करने सम्बन्धी प्रस्तावपर जो भाषण हुए वे बहुत ही खेदजनक एवं निन्दनीय थे। लॉर्ड चेम्सफोर्डको ओहदेकी दृष्टिसे अयोग्य मानना एक बात है और उनका अपमान करना, सम्राट्के प्रतिनिधिके प्रति असभ्य एवं अशिष्ट भाषाका प्रयोग करना दूसरी बात है। इससे हमारी प्रतिष्ठा घट जाती है। यदि जनतामें ऐसी भाषाका प्रचलन हो जाये तो हममें विद्यमान नम्रता, सभ्यता तथा कुलीनता आदि गुणोंपर बट्टा लगेगा। मैं यह नहीं मानता कि अत्युक्तिसे जनताको कोई लाभ पहुँचता है। अत्युक्ति तो असत्यका ही एक भोंडा रूप है। असत्यके कारण यदि जनताको कुछ मिलता भी हो तो ऐसे लाभसे इनकार कर देना ही हमारे लिए उचित होगा; क्योंकि अंतमें ऐसी उन्नति अवनतिका कारण बन जाती है। पथ-

प्रदर्शन करनेवाले प्रस्ताव

इसके अतिरिक्त जनताका पथ-प्रदर्शन करनवाले कुछ प्रस्ताव पास हुए वे तो अच्छे ही कहे जायेंगे। कांग्रेसने वर्तमान स्वदेशी आन्दोलनको मान्यता दी एवं चरखे तथा करघेकी प्रवृत्तिको अपने कार्यक्रम में सम्मिलित किया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीने किसानोंकी हालत जाँचनेकी घोषणा की, खिलाफत आन्दोलनमें मुसलमानोंकी सहायताका प्रस्ताव तथा ऐसे ही अन्य प्रस्ताव पास किये जो हमें आगे बढ़ानेवाले माने जायेंगे और यदि जनता इन प्रस्तावोंपर अमल करे तो उसका परिणाम शुभ ही होगा। जलियाँवाले बागपर जनताका कब्जा होना यह उसके लिए अभिमानकी बात है। इस बागकी कीमत लगभग पाँच लाख रुपये पड़ेगी तथा वहाँ जनताके दुःखको सूचित करनेवाले, हिन्दू-मुसलमानोंकी एकताको बढ़ानेवाले एवं किसीके प्रति द्वेष या किसी तरह का विरोध प्रकट करनेकी इच्छा किये बिना निरपराधियोंके मृत्युरूपी यज्ञका स्मरण करानेवाले एक स्तम्भका निर्माण कराने और जो स्थान कूड़ेका ढेर होते हुए भी आज बागके नामसे प्रसिद्ध है उसे बागका वास्तविक रूप देनेके लिए लगभग पाँच लाख रुपयेकी जरूरत अवश्य होगी। [१]मुझे आशा है कि "नवजीवन" के पाठक इस कार्य में पूरी तरहसे योग देंगे और जिससे जलियाँवाला बाग हिन्दुस्तानकी शोभा बढ़ानेवाला, हिन्दू, मुसलमान आदि सभी धर्मोंके लोगोंका तीर्थ-स्थान बन सके, ऐसा करने में अपना-अपना हिस्सा अदा करेंगे।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ११-१-१९२०
  1. "स्वतन्त्रताकी ज्योति" का प्रतीक ४५ फुट ऊँचा एक राष्ट्रीय स्मारक अब उस स्थलपर बना दिया गया है।