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पत्र : एच॰ विलियमसनको

जरिये डॉ॰ सत्यपालके पत्रकी एक नकल भी पा सकते हैं। जो सुपरिन्टेन्डेंट मुझे सवाई माधोपुरसे बम्बई ले गया था, उसने मुझे बताया था कि डॉ॰ सत्यपालका मुझे लिखा गया पत्र उसने देखा था।

हृदयसे आपका,

महादेव देसाईके स्वाक्षरोंमें पेंसिल से लिखे मूल अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ६९८८) की फोटो-नकलसे।

२४९. पत्र : एच॰ विलियमसनको

आश्रम
जनवरी ११, १९२०

श्री एच॰ विलियमसन
मंत्री
उपद्रव जाँच समिति
प्रिय श्री विलियमसन,

मैं अभीतक अपनी झिझकके कारण लॉर्ड इंटर तथा समितिके अन्य सदस्यों और समिति के समस्त कर्मचारियोंको आश्रम आनेका निमंत्रण देनेसे रुका रहा। पंडित जगतनारायण और साहबजादा सुलतान अहमदखाने आश्रममें आकर मुझे सम्मानित किया, और मुझे महसूस हुआ कि अपनी झिझकके बावजूद मुझे लॉर्ड इंटर तथा समितिके अन्य सदस्योंसे कहना चाहिए कि यदि वे आयें तो उन्हें आश्रम दिखाकर और उसके बारेमें बताकर मुझे बहुत खुशी होगी। में जानता हूँ कि आप सब लोगोंको समयका कितना अभाव है इसलिए मैं आशा करता हूँ कि मेरा निमंत्रण स्वीकार करना आप लोगोंके लिए आवश्यक नहीं है।[१] इसके लिए समय निर्धारित करनेकी आवश्यकता नहीं है। क्या आप कृपया यह पत्र लॉर्ड इंटर तथा अन्य लोगोंको जिनके लिए यह है, पढ़कर सुना देंगे? कल सोमवारको में आश्रममें ढाई बजेतक रहूँगा। तीन बजे मुझे शहरमें एक जगह पहुँचना है।

हृदयसे आपका,

महादेव देसाईके स्वाक्षरोंमें पेंसिलसे लिखे मूल अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ६९८८) की फोटो-नकलसे।

  1. समिति के सदस्य दूसरे ही दिन आश्रम देखने आये थे।