पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/५२६

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२५०. पत्र : एच॰ विलियमसनको

आश्रम
जनवरी ११, १९२०

प्रिय श्री विलियमसन,

मैं स्वीकार करना चाहूँगा कि पंडित जगतनारायण ने मुझसे सम्बन्धित बम्बईकी उस छोटी-सी घटनाका जो विवरण मुझे पढ़कर सुनाया था उसने मुझे अबतक उद्विग्न कर रखा है।[१] मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि यदि लॉर्ड हंटर बम्बईमें वहाँकी घटनाओंके बारेमें मुझसे पूछताछ करना चाहें तो में गवाही देनेके लिए सहर्ष बम्बई आ जाऊँगा।[२] निश्चय ही मैं अपने विरुद्ध या उस उद्देश्यके विरुद्ध जिसका मैं प्रतिपादन करता हूँ, सभी आरोपोंका उत्तर देनेको उत्सुक हूँ, ताकि मेरी तरफसे प्रयत्नके अभाव में उद्देश्यको हानि न पहुँचे।

हृदयसे आपका,

महादेव देसाईके स्वाक्षरोंमें पेंसिलसे लिखे अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ६९८८) की फोटो-नकलसे।

 

२५१. पत्र : बम्बई उच्च न्यायालयके पंजीयकको

[साबरमती]
जनवरी ११, १९२०

प्रिय महोदय,

आपके इसी ८ तारीखके पत्रके संदर्भमें मैं कहना चाहता हूँ कि जिन परि- स्थितियोंका आपने उल्लेख किया है उन्हें देखते हुए में २८ फरवरीको अदालतमें हाजिर होनेकी कोशिश करूँगा।[३] क्या आप कृपया कैफियत तलबी आदेशकी सुनवाई

  1. ९ जनवरीको समिति द्वारा गांधीजीसे पूछताछके दौरान पंडित जगतनारायणने गांधीजी के सामने एक सरकारी रिपोर्टका हवाला दिया। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि जब गांधीजी ११ अप्रैलको बम्बईकी पायधुनी नामक बस्तीमें क्रुद्ध भीड़को शान्त करनेका प्रयत्न कर रहे थे तब क्या हुआ था। रिपोर्टमें कहा गया था : "यह बड़ी दिलचस्प बात है कि जब कि गांधी सभाओंमें भाषण देते समय बराबर एक आकर्षक रुग्ण व्यक्तिके रंग-ढंग अपनाते रहे हैं, लेकिन इस अवसरपर जो व्यक्ति सशस्त्र पुलिसकी कमान सँभाले हुए था उसका कहना है कि जब घुड़सवार सैनिक धावा बोल रहे थे उस समय गांधीने बचनेके लिए अपनी गाड़ीसे निकल भागने में आश्चर्यजनक चुस्ती और फुर्ती दिखाई।" गांधीजीने इसका खण्डन किया था।
  2. समितिको बैठक १५ जनवरीको बम्बई में हुई थी लेकिन गांधीजीका बयान नहीं लिया गया था।
  3. मुकदमे की सुनवाई ३ मार्चको हुई थी।