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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

'टाइम्स ऑफ इंडिया'ने स्थितिका जैसा विश्लेषण किया है वही समझौते के बादकी स्थितिका एकमात्र सच्चा विश्लेषण है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १४-१-१९२०

२६०. पत्र : रवीन्द्रनाथ ठाकुरको

आश्रम
साबरमती
जनवरी १४, १९२०

प्रिय गुरुदेव,

आजतक मुझे इसका कोई अन्दाज नहीं था कि गुजरात साहित्य सभाका सम्मेलन जिस समय होने की आशा थी उस समय नहीं हुआ। सम्मेलनके मुख्य संयोजक डॉक्टर हरिप्रसादने मुझे बताया कि आपके शामिल न हो सकने के कारणोंमें मुख्य बात यह थी कि आपको बहुत देरसे सूचना दी गई थी, अतः यह निर्णय किया गया कि सम्मेलनको ईस्टरतक के लिए मुल्तवी कर दिया जाये। औचित्यके किसी सिद्धान्तको भंग किये बिना ऐसा किया जा सकता था क्योंकि सम्मेलन कोई ऐसा वार्षिक कार्यक्रम नहीं है जिसका एक नियत समयपर होना अनिवार्य हो। में जानता हूँ कि यदि आपका स्वास्थ्य तथा अन्य परिस्थितियाँ अनुकूल रहीं तो आप निमन्त्रण स्वीकार कर लेंगे, और मुझे पूरी आशा है कि गुजरातकी राजधानीको ईस्टरमें आपका स्वागत करनेका गौरव प्राप्त होगा।[१]

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

गांधीजी द्वारा हस्ताक्षरित हस्तलिखित मूल अंग्रेजी पत्र (जी॰ एन॰ ४६२६) की फोटो-नकल से।

  1. रवीन्द्रनाथ ठाकुरने २ अप्रैलको सम्मेलन में भाषण दिया।