पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/५३९

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२६१. पत्र : सैयद हुसैन इमामको

[साबरमती आश्रम
जनवरी १५, १९२० के पूर्व][१]

प्रिय संयद हुसैन इमाम,

इंजन विभागके कर्मचारियोंकी पिछले १० दिनोंसे चल रही हड़तालके सिलसिले में मुंगेरके वकील बाबू श्रीकृष्ण सिंह तथा ईस्ट इंडियन रेलवेके जमालपुर कारखानेका एक कर्मचारी मुझसे मिलने आये थे। मैं तो मुंगेर जाकर स्वयं वहाँकी स्थितिका अध्ययन करना ज्यादा पसन्द करूँगा लेकिन मुझे तुरन्त पंजाब जाकर वहाँ अपना काम पूरा करना है, इसलिए यह असम्भव ही है। कर्मचारियोंकी माँगें मुझे उचित जान पड़ती हैं। क्या आप उनकी मदद नहीं कर सकेंगे? में राजेन्द्र बाबूको भी लिख रहा हूँ।

हृदयसे आपका,

पेंसिल से लिखे अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ७०२४) से।

२६२. पत्र : एस्थर फैरिंगको

दिल्ली
[जनवरी १६, १९२० या उसके बाद][२]

रानी बिटिया,

तुम्हारे आश्रम पहुँचते हो मुझे वहाँसे चल देना पड़ा इसका मुझे दुःख है। मैं कितना चाहता था कि तुम्हारे साथ काफी देरतक बातचीत करूँ और अगर तुम किसी कारणवश चिन्तित हो तो उसका समाधान करूँ। देवदाससे यह जानकर बड़ा दुःख हुआ कि तुम्हारे पास ओढ़नेके लिए काफी वस्त्र नहीं हैं। मैं तो उम्मीद करता हूँ कि तुम अपनी आवश्यकताकी चीजें खुद ही माँग लिया करोगी या दूसरे लोग तुम्हारी जरूरतोंको समझेंगे।

भोजन तैयार करनेके सम्बन्धमें जो परिवर्तन किये गये हैं, उन्हें तो तुम जानती ही हो। भुवरजी रसोईघरसे अलग हो जायेंगे और में तो यह चाहूँगा कि रसोईमें तुम बा की सहायता किया करो। परन्तु इसमें तुम्हें अपने ऊपर जब करना पड़े तो यह काम मत लेना। बा के मिजाजका कुछ ठीक नहीं रहता। उसका व्यवहार बराबर मीठा

  1. यह पत्र सम्भवत: गांधीजीके १५ जनवरीको अहमदाबादसे रवाना होनेके पूर्व लिखा गया था।
  2. गांधीजी १५ जनवरीको अहमदाबादसे रवाना हुए थे और १६ जनवरीको दिल्ली पहुँचे थे। मालूम होता है यह पत्र दिल्ली पहुँचनेके तुरन्त बाद लिखा गया था।