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२६३. हंटर समिति

अहमदाबादमें इस समितिने अपना काम पूरा कर लिया है। समिति के सामने पेश किये गये प्रमाणोंसे इतना तो सिद्ध हो गया है कि पहले जनताने भूल की, सरकारने नहीं। सरकारने श्री गांधीको गिरफ्तार किया, इस बातको हमें छोड़ देना चाहिए। क्योंकि यदि सरकार किसीको गिरफ्तार करती है और गिरफ्तार व्यक्ति जनतामें लोकप्रिय हो एवं जनताकी यह धारणा हो कि सरकारको उस व्यक्तिको गिरफ्तार नहीं करना चाहिए तो सरकारका काम ही नहीं चल सकता। यह ठीक है कि ऐसे व्यक्तिको गिरफ्तार करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त कारण होने चाहिए। यह भी ठीक ही है कि ऐसे व्यक्तिको गिरफ्तार करनेके पहले सरकारको शान्ति बनाये रखने की पूरी व्यवस्था कर लेनी चाहिए। किन्तु सरकारने अमुक व्यक्तिको पकड़ लिया इस कारण जनताको आगजनी और खून-खराबी करनेका अधिकार नहीं मिल सकता। इसके अतिरिक्त स्थानीय पुलिसने ११ अप्रैलको ऐसा कोई काम नहीं किया था जिसकी वजहसे लोगोंको आगजनी और खून-खराबी करनेका कोई भी बहाना मिलता।

इस प्रकार प्रमाणोंसे यह सिद्ध हो गया है कि लोगोंने आग लगाकर और खून-खराबी करके भयंकर भूल की है और अहमदाबादको नुकसान पहुँचाया है।

यह भी हमारे सुनने में आया है कि इस हुल्लड़बाजीके कारण ही सरकारने श्री गांधीको छोड़ा है। किन्तु तारीखोंपर नजर डालने से यह बात गलत सिद्ध होती है। क्योंकि जिस समय श्री गांधी छूटे उस समय अहमदाबादमें खून-खराबी नहीं हो रही थी। श्री गांधी ११ अप्रैलकी दोपहरको छूटे थे। उन्हें बम्बई में रिहा कर देनेका निर्णय तो १० की साँझ को ही हो गया था। तबतक अहमदाबादमें कुछ नहीं हुआ था।

किन्तु यह तो हम जानते ही हैं कि आगजनी और खून-खराबी की वजहसे बहुत अधिक नुकसान हुआ है। बहुतसे लोगोंको जेलकी सजा भुगतनी पड़ी, अहमदाबादपर भारी सामूहिक जुर्माना किया गया और इस शहरके लज्जित होनेका प्रसंग आया।

सरकारने हुल्लड़बाजीको दबाने के लिए जिन उपायोंसे काम लिया उनकी आलोचना अथवा टीका-टिप्पणी तो किसी हदतक धृष्टता ही मानी जायेगी। पंजाब से तुलना करनेपर सरकारने यहाँ इतनी अधिक सहनशीलताका परिचय दिया है कि हमारे लिए उसकी छोटी-मोटी भूलोंपर किसी तरहकी टीका करना उचित नहीं होगा। फिर भी जब हम गुण-दोषों का विवेचन करने बैठे हैं तो उन्हें गिनाये बिना भी नहीं रहा जा सकता। मार्शल लॉ लगाने की कोई जरूरत नहीं थी और मार्शल लॉ की रूसे जो हुक्म निकाला गया था उसकी भी जरूरत नहीं थी। इसकी वजहसे निरपराध लोग मारे गये। नडियाद और बारेजडीपर गलत और एकतरफा सामूहिक जुर्माना किया गया। सरकार की ये प्रत्यक्ष भूलें हैं। इंटर समिति कुछ हदतक इन भूलोंको सुधार लेनेका साधन है।