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२६५. पत्र : जे॰ एल॰ मैफीको

दिल्ली
जनवरी १८, १९२०

श्री जे॰ एल॰ मैफी, सी॰ आई॰ ई॰
परमश्रेष्ठ वाइसराय महोदयके निजी सचिव

मैं यहाँ खिलाफत शिष्टमण्डलके सिलसिले में आया हुआ हूँ और उसका एक सदस्य हूँ। शिष्टमण्डल परमश्रेष्ठ वाइसरायसे कल मुलाकात करने जा रहा है। मुझे जब इसमें शामिल होनेको निमन्त्रित किया गया, उससे पहलेतक मैंने परमश्रेष्ठकी सेवामें पेश किया जानेवाला वक्तव्य[१] नहीं पढ़ा था। मामलेको जिस ढंगसे प्रस्तुत किया गया है वह मुझे अच्छा नहीं लगा। वह बहुत ही अस्पष्ट और बड़े साधारण ढंगसे तैयार किया गया है। आजके जैसे संकटके समय में उसे बहुत मर्यादापूर्ण, संक्षिप्त, सटीक और अधिकसे-अधिक युक्तिपूर्ण होना चाहिए था। उसमें सिर्फ आवश्यक तथ्योंका ही जिक्र होना चाहिए था, और मामलेको कूटनीतिके धरातलसे नहीं बल्कि ऊँचेसे-ऊँचे धरातलसे प्रस्तुत करना चाहिए था। लेकिन अब देखता हूँ कि पूरे वक्तव्यको फिरसे लिखने और इस तरह परमश्रेष्ठका और अधिक समय लेनेका अवसर नहीं रहा। इसलिए मैंने सुझाव दिया कि इस बातका एक मोटा अन्दाज देनेके लिए तो एक यथातथ्य वक्तव्य होना ही चाहिए कि कमसे कम क्या कुछ प्राप्त होनेसे मुसलमान संतुष्ट हो सकेंगे। अब उन लोगोंने ऐसा पूरक-पत्र तैयार कर लिया है, और उसे उक्त वक्तव्यके साथ परिशिष्ट के रूपमें संलग्न कर दिया गया है। मुझे आशा है कि परमश्रेष्ठको इस अतिरिक्त अंशपर कोई आपत्ति न होगी। साथमें वह वक्तव्य और अतिरिक्त अंश, दोनों भेज रहा हूँ। मुझे खेद है कि यह अच्छी तरह नहीं लिखा गया है। आज किसी समय इसकी नई नकल भेजनेकी आशा करता हूँ, परन्तु समय बचानेके खयालसे में इस बीच जैसी प्रति मेरे पास है, वैसी ही भेज रहा हूँ।

आशा है आप स्वस्थ व प्रसन्न होंगे।

अखबारोंमें यह समाचार पढ़कर दुःख हुआ कि लेडी चैम्सफोर्ड कलकत्ते में बीमार हैं। मुझे आशा है कि वे अब बिलकुल अच्छी हो गई होंगी।[२]

[अंग्रेजीसे]

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया : होम, पोलिटिकल : फरवरी १९२० : सं॰ ४१३-४१६ ए।

  1. देखिए परिशिष्ट ११।
  2. इस पत्रका उत्तर श्री मैफीने इस प्रकार दिया था : "आपका इसी माहकी १८ तारीखका पत्र मिला। बात इतनी भागे बढ़ गई है कि अब निवेदनमें और कुछ जोड़ना सम्भव नहीं है। यदि इजाजत दें तो कहूँ कि खिलाफत सम्मेलन द्वारा तैयार किये गये वक्तव्यकी आपने जो कड़ी आलोचना की है उससे मैं सहमत नहीं हूँ। उसमें सब बातें पूर्णरूपसे आ गई हैं और मेरा खयाल है कि ऐसे अवसरपर उन्होंने वक्तव्यमें अपने 'दावों' का विवरण शामिल न करके बुद्धिमत्ताका कार्य किया है।"