पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/५५३

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२७४. पत्र : एस॰ अली हुसैनको

२, मुजंग रोड
लाहौर
जनवरी २४, १९२०

प्रिय श्री हुसैन,

आपका पत्र[१] पाकर बड़ी खुशी हुई। वह जानकारी जिसका उपयोग मैंने सभामें किया, मुझे मेरठ में प्राप्त हुई थी। जो लोग मुझे मोटर द्वारा मुजफ्फरनगर ले गये थे उन्होंने ही वह सूचना मुझे मोटरमें दी थी। अगर आप उनके कथनको सत्य नहीं मानते तो मैं चाहूँगा कि आपका क्या कहना है, सो सूचित करें।

हृदयसे आपका,

हस्तलिखित अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ७०६८) की फोटो-नकलसे।

२७५. पत्र : एस्थर फैरिंगको

लाहौर
जनवरी २४, १९२०

रानी बिटिया,

कल लाहौर आनेपर तुम्हारा पत्र पाकर मुझे बहुत खुशी हुई।

मुझे हर्ष है कि तुमने अपना हृदय खोलकर रखा है। मंत्री और स्नेहकी यही सच्ची कसौटी है। तुम जब दिलकी बात साफ-साफ बताती हो तब मुझे अपनी मदद कर सकने योग्य बनाती हो। मुझे इसका कोई अंदाज नहीं था कि तुमने बा की क्षुद्रताको पहले ही भांप लिया था। मैंने तो चूँकि तुम्हें उसके निकट सम्पर्क में आनेको कहा था इसलिए यों ही आगाह-भर कर दिया था। देखता हूँ मेरी चेतावनी तुम्हें ठीक समयपर मिल गई। ईश्वर तुम्हें ठीक समयपर ठीक काम करनेकी बुद्धि और

  1. इसपर २३ तारीख पड़ी थी और वह इस प्रकार था : "आपके व्यस्त समयमें बाधा देनेके लिए क्षमा चाहता हूँ। पर चूँकि आपके पिछली रातके भाषणके सम्बन्धमें यहाँ कुछ विरोध पैदा हो गया है, मुझे आशा है इन कुछ क्षणोंके कष्टके लिए आप मुझे क्षमा करेंगे। मैं यह जानना चाहता हूँ कि मुहर्रमके नामलेके सम्बन्धमें आपको क्या जानकारी मिली है और साथ ही यह कि वह आपको किसने दी। उक्त सूचना आपको कब मिली थी—जब आप यहाँ कुछ समर्थके लिए रुके थे तब या यहाँ पहुँचनेके पूर्व?" देखिए "भाषण : मेरठ में", २२-१-१९२०।