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पत्र : अखबारोंको

कारण करते हैं। उसकी बीमारीमें उसकी सेवा करना मित्रोंके लिए सौभाग्य की बात होगी।

सस्नेह,

तुम्हारा,
बापू

नेशनल आर्काइब्ज़ ऑफ इंडियामें सुरक्षित मूल अंग्रेजी मसविदेकी फोटो-नकल तथा माई डियर चाइल्डसे।

२७६. तार : श्यामलाल नेहरूको

[लाहौर
जनवरी २४, १९२०]

पंजाब से बाहर जाना सम्भव नहीं; मेरी ओरसे क्षमा माँग लें।[१]

गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ७४४०) की फोटो-नकल से।

२७७. पत्र : अखबारोंको[२]

[जनवरी २५, १९२० के पूर्व]

[दक्षिण आफ्रिका] संघके प्रधान मन्त्रीको सेवामें प्रस्तुत स्मृतिपत्रमें क्रूगर्सडॉर्प नगरनिगम बनाम दादू लिमिटेडके जिस मुकदमेका उल्लेख किया गया है, उसके सम्बन्धमें ट्रान्सवाल ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष श्री अस्वातने मुझे एक तार भेजा है। उसे नीचे विस्तृत रूपमें दिया जा रहा है :

अदालतने हस्तान्तरण अस्वीकृत कर दिये हैं। उसका निष्कर्ष यह था कि अचल सम्पत्ति प्राप्त करनेके उद्देश्यसे भारतीय कम्पनियाँ खोलना अवैध है। उसने इस प्रकारके हस्तान्तरणको यह कहते हुए कानूनी फरेब घोषित किया कि विधानका उपहास नहीं किया जा सकता (खण्ड १३०)। स्वर्ण कानूनका मंशा यूरोपीयों और रंगदार लोगोंके अन्धाधुन्ध मेल-जोलको रोकना था। फिर, पाँचे-
  1. यह तार श्यामलाल नेहरूके निम्नलिखित तारके उत्तरमें भेजा गया था : "आराके बैरिस्टर के॰ पी॰ सिंह चाहते हैं मैं आपको यह संदेश भेजूँ कि शाहाबादके उपद्रवियोंकी रिहाईके लिए आम सभा २५ तारीखको होगी, हिन्दू-मुस्लिम एकताके लिए आपकी उपस्थिति अपेक्षित। न आनेपर घोर निराशा होगी।"
  2. २५ जनवरी, १९२० के नवजीवनमें इसका गुजराती अनुवाद भी छपा था।