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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दिन मुसलमानों द्वारा होनेवाले गो-वधके खिलाफ शोर मचाना बहुत शोभनीय नहीं है। यह तो तिलको ताड़ और पर्वतको राई मानने जैसी बात हुई।

हृदय से आपका,

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ७०६४) की फोटो-नकलसे।

२८३. पत्र : मदनपल्लीके एक सज्जनको

लाहौर
जनवरी २५, १९२०

प्रिय श्री. . . . .[१]

सत्याग्रहके सिद्धान्तको तार्किक और आध्यात्मिक दृष्टिसे पूरी तरह विकसित कर पानेके पहले भी मैं निष्क्रिय प्रतिरोध, जिस रूपमें वह पश्चिममें समझा और व्यवहृत किया जाता है, और सत्याग्रहके बीच अन्तर करता था, मैंने कई बार निष्क्रिय प्रतिरोध और सत्याग्रह शब्दोंका प्रयोग एक दूसरेके पर्यायके रूपमें किया है; किन्तु सत्याग्रहका सिद्धान्त धीरे-धीरे विकसित होता गया, और अब तो प्रतिरोध शब्दकी तरह ही उसका पर्यायवाची नहीं रहा। कारण जैसा कि इंग्लैंड में महिला मताधिकार आन्दोलनमें हुआ, निष्क्रिय प्रतिरोध में हिंसाका स्थान है, और सर्वसामान्य रूपसे उसे कमजोरोंका अस्त्र माना गया है। फिर निष्क्रिय प्रतिरोधमें प्रत्येक परिस्थिति में सत्यका पूर्ण रूपसे पालन करना भी कोई आवश्यक शर्त नहीं है। अतः वह इन तीन बुनियादी बातोंमें सत्याग्रहसे भिन्न है; सत्याग्रह शक्तिवान लोगोंका अस्त्र है; इसमें किन्हीं भी परिस्थितियों में हिसाके लिए कोई गुंजाइश नहीं है; और यह बराबर सत्यपर आग्रह रखता है। मैं समझता हूँ कि दोनोंके बीच जो अन्तर है उसे मैंने बिलकुल स्पष्ट कर दिया है।

हृदयसे आपका,

मदनपल्ली (पी॰ ओ॰)
हस्तलिखित अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ७०७१) की फोटो-नकल से।
  1. प्रापकका नाम अस्पष्ट होनेके कारण पढ़ा नहीं जा सका।